आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र चैप्टर 1 अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास का संपूर्ण व्याख्या हिंदी में। BSEB Economics Chapter 1
अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
वे सभी क्रियाएँ, जिनसे हमें आय प्राप्त होती है, उसे आर्थिक क्रियाएँ कहते है।
- अर्थव्यवस्था एक ऐसा तंत्र या ढाँचा है जिसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ सम्पादित की जाती है, जैसे-कृषि, उद्योग, व्यापार, बैंकिंग, बीमा, परिवहन तथा संचार आदि ।
अर्थव्यवस्था की संरचना या ढाँचा
अर्थव्यवस्था की संरचना का मतलब विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में इसके विभाजन से है। चूंकि अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ अथवा गतिविधियाँ सम्पादित की जाती हैं, जैसे- कृषि, उद्योग, व्यापार, बैंकिंग, बीमा, परिवहन, संचार आदि ।
इन क्रियाओं को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जाता है
- प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)
- द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector)
- तृतीयक क्षेत्र या सेवा क्षेत्र (Tertiary Sector or Service Sector)
(1) प्राथमिक क्षेत्र- प्राथमिक क्षेत्र को कृषि क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्ग कृषि, पशुपालन, मछली पालन, जंगलों से वस्तुओं को प्राप्त करना जैसे व्यवसाय आते हैं।
(ii) द्वितीयक क्षेत्र- द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है । इसक अंतर्गत खनिज व्यवसाय, निर्माण कार्य, जनोपयोगी सेवाएँ, जैसे- गैस और बिजली आदि कर उत्पादन आते हैं।
(iii) तृतीयक क्षेत्र-तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत बैंक एवं बीमा, परिवहन, संचार एवं व्यापार आदि क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं । ये क्रियाएँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों को क्रियाओं को सहायता प्रदान करती है। इसलिए इसे सेवा क्षेत्र कहा जाता है।
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अर्थव्यवस्था के प्रकार (Types of Economy)
1. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalist Economy)- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहाँ उत्पादन के साधनों का स्वामित्व निजी व्यक्तियों के पास होता है जो इसका उपयोग अपने निजी लाभ के लिए करते हैं । जैसे- अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया आदि।
2. समाजवादी अर्थव्यवस्था ( Socialist Economy)- समाजवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहाँ उत्पादन के साधनों का स्वामित्व एवं संचालन देश की सरकार के पास होता है जिसका उपयोग सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है। जैसे-चीन, क्युबा आदि
3. मिश्रित अर्थव्यवस्था ( Mixed Economy)- मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवादी तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था का मिश्रण है। मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहाँ उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार तथा निजी व्यक्तियों के पास होता है । जैसे- भारत
सतत् विकास का शाब्दिक अर्थ है- ऐसा विकास जो जारी रह सके, टिकाऊ बना ग सके। सतत् विकास में न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भावी पीढ़ी के विकास को भी ध्या में रखा जाता है ।
भारत में योजना आयोग का गठन 15 मार्च, 1950 को किया गया । इसके पदेन अध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री होते हैं । योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे।
आर्थिक नियोजन का अर्थ राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है”।
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भारत अभी तक अपनी 10 पंचवर्षीय योजनाओं को पूरी कर चुका है तथा अब ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत विकास कर रहा है । भारत में पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि 1951-1956 थी तो ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना की व्था अवधि 2007-2012 है।
राष्ट्रीय विकास परिषद् (National Development Council- N.D.C.) भारत में राष्ट्रीय विकास परिषद् का गठन 6 अगस्त 1952 को किया गया था। राष्ट्रीय विकास परिषद् में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इसके पदेन सदस्य होते हैं । प्रत्येक पंचवर्षीय योजना बनाने का कार्य योजना आयोग का है और अन्त में यह राष्ट्रीय विकास परिषद् द्वारा अनुमोदित (Approved) होती है।
- वस्तु-विनिमय प्रणाली- वस्तु से वस्तु का लेन-देन ।
- मौद्रिक प्रणाली- मुद्रा से वस्तुओं एवं सेवाओं का विनिमय ।
- बैंकिंग प्रणाली- बैंक के माध्यम से चेक के द्वारा विनिमय की ‘क्रिया का सम्पादन।
- कोर बैंकिंग प्रणाली के अन्तर्गत एक संकेत से एक व्यक्ति के खाते से दूर अवस्थित दूसरे व्यक्ति को उसी बैंक के माध्यम से पैसा का हस्तांतरण (Transfer)
- एटीएम (AIM) प्रणाली- प्लास्टिक के एक छोटे-से कार्ड पर अंकित सूक्ष्म संकेत के आधार पर कहीं भी तथा किसी समय निर्धारित बैंक के केन्द्र से पैसे निकालने की सुविधा।
- डेबिट कार्ड (Debit Card)- बैंक द्वारा दिया गया प्लास्टिक का कार्ड जिसके द्वारा बैंक में अपनी जमा राशि के पैसे का उपयोग करना ।
- क्रेडिट कार्ड (Credit Card)- बैंक द्वारा जारी किया गया प्लास्टिक का एक कार्ड जिसको आधार पर उसके धारक द्वारा पैसे अथवा वस्तु प्राप्त कर लेना ।
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आर्थिक विकास की माप एवं सूचकांक
राष्ट्रीय आय (National Income)- किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवार के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है । सामान्य तौर पर जिस देश का राष्ट्री आय अधिक होता है वह देश विकसित कहलाता है और जिस देश का राष्ट्रीय आय कम होती है वह देश अविकसित कहलाता है ।
प्रति व्यक्ति आय (Per capita Income)- राष्ट्रीय आय को देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, वह प्रति व्यक्ति आय कहलाता है। फार्मूले के रूप में-
प्रतिव्यक्ति आय = राष्ट्रीय आय / कुल जनसंख्या
मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) यह सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रस्तावित किया जाता है। यूएनडीपी (UNDP) द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट (HDR) विभिन्न देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करती है।
आधारिक संरचना का मतलब उन सुविधाओं तथा सेवाओं से है जो देश के आर्थि विकास के लिए सहायक होते हैं ।
जैसे- बिजली, परिवहन, संचा बैंकिंग, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल आदि
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बिहार के पिछड़ेपन के कारण
- तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या
- आधारिक संरचना का अभाव
- कृषि पर निर्भरता
- बाढ़ तथा सूखा से क्षति
- औद्योगिक पिछड़ापन
- गरीबी
- खराब विधि व्यवस्था
- कुशल प्रशासन का अभाव
बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय
- जनसंख्या पर नियंत्रण
- कृषि का तेजी से विकास
- बाढ़ पर नियंत्रण
- आधारिक संरचना का विकास
- उद्योगों का विकास
- गरीबी दूर करना
- शांति व्यवस्था की स्थापना
- स्वच्छ तथा ईमानदार प्रशासन
- केन्द्र से अधिक मात्रा में संसाधनों का हस्तांतरण
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नरेगा (NREGA) ग्रामीण रोजगार देने की यह एक राष्ट्रीय योजना है । इसके अन्तर्गत ग्रामीण मजदूरों को साल में कम-से-कम 100 दिनों के लिए रोजगार देने की व्यवस्था है । इसके लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित है