आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7वीं विज्ञान का पाठ ‘जंतुओं में पोषण’ का वस्तुनिष्ठ प्रश्न को देखने वाले है।
जंतुओं में पोषण
Q.1 पोषण किसे कहते है?
उत्तर— वह विधि जिसके द्वारा जीव पोषक तत्वों को ग्रहण कर उसका उपयोग करते है, उसे पोषण कहते है।
पोषण दो प्रकार के होते है।
(i) स्वपोषण
(ii) परपोषण
(i) स्वपोषण किसे कहते है?
उत्तर— वैसे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाते है, उसे स्वपोषण कहते है।
जैसे— हरे पौधे
(ii) परपोषण किसे कहते है?
उत्तर— वैसे जीव जो अपना भोजन स्वयं न बनाकर किसी अन्य मध्यम पर निर्भर रहते है, उसे परपोषण कहते है।
जैसे— मनुष्य, जीव-जन्तु
Q.2 आहारनाल क्या है?
उत्तर— आहारनाल एक ऐसी नली है, जो मुखगुहा से शुरू होकर मलद्वार तक फैली हुई है।
आहारनाल के विभिन्न भाग
(i) मुख गुहिका
(ii) ग्रसिका या ग्रासनली
(iii) आमाशय
(iv) छोटी आंत
(v) बड़ी आंत
(vi) मलाशय
(vii) मलद्वार
(i) मुख गुहिका— हमारे मुख गुहिका के अंदर दांत, जीभ तथा लार ग्रंथियां होती है। लार ग्रंथियां से हमेश लार निकलते रहता है। दांत भोजन को चबाने और काटने में हमारी मदद करता है।
★ मनुष्य में दांतो की संख्या 32 होती है। जबकि दूध के दांतों की संख्या 20 होती है।
👉दांत चार प्रकार के होते है।
(i) कृतक (incisor)— काटने का कार्य
(ii) रदनक (canines)— फाड़ने का कार्य
(iii) अग्रचवर्णक (premolar)— पीसने और चबाने का काम
(iv) चवर्णक (molar)— पीसने और चबाने का काम
★ मनुष्य के दांतों के ऊपरी परत को इनेमल (Enamal) कहते है। यह कठोर होता है। यह कैल्शियम एनेमेलिन लवण और प्रोटीन से बना होता है।
मनुष्य में तीन जोड़ी लार ग्रंथियां पाई जाती हैं। जिससे हमेशा लार निकलते रहता है। और यह लार भोजन को मुलायम बनाने में मदद करती है।
जीभ पर स्वाद कालिकाय होती है। जिसकी मदद से हम भोजन का स्वाद ले पाएंगे।
(ii) ग्रसिका या ग्रासनली— ग्रासनली मुख गुहा को आमाशय से जोड़ता है। मुख द्वारा चबाया गया भोजन ग्रासनली में जाता है। उसके बाद ग्रासनली में संकुचन के कारण भोजन आमाशय में पहुंचता है।
(iii) आमाशय— आमाशय, आहारनाल का सबसे चौड़ा भाग है। यह चपटी और U आकार का होता है। आमाशय से होकर भोजन छोटी आंत में जाती है। आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है, भोजन के साथ आए जीवाणुओं को नष्ट करता है।
(iv) छोटी आंत— छोटी आंत की लंबाई 6 से 8 मीटर होती है। इसमें यकृत और अग्नाशय होते है।
यकृत (Liver)— यह मनुष्य की सबसे बड़ी ग्रंथि होती है। यह आमाशय के ऊपरी भाग के दाहिने ओर स्थित होती है। यह गहरे लाल-भूरे रंग के होते है। इसका भार करीब 1.5 kg होता है।
अग्नाशय— आमाशय के ठीक नीचे हल्के पीले रंग की एक ग्रंथि होती है, जिसे अग्नाशय कहते है।
स्वांगीकरण — अवशोषित पदार्थों को रक्त वाहिकाओं के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों तक भेजा जाता है। जहां उनका उपयोग शरीर के प्रोटीन जैसे जटिल पदार्थों के निर्माण के लिए किया जाता है, जिसे स्वांगीकरण कहते है।
(v) बड़ी आंत— बड़ी आंत की लंबाई 1.5 मीटर होती है। इसमें पचा हुआ भोजन से जल और लवणों को अवशोषित किया है। और बिना पचा हुआ भोजन को मलाशय में चला जाता है। और मलाशय से अपचित भोजन मलद्वार के द्वारा समय-समय पर शरीर से निकलते रहता है।
निष्कासन— अपचित भोजन को मलद्वार के माध्यम से समय-समय पर शरीर से बाहर निकलने की प्रक्रिया को निष्कासन कहते है।
घास चरने वाले जंतुओं में पाचन
घास में अधिक मात्रा में सेल्यूलोज पाया जाता है। सेल्यूलोज एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेड होता है। घास को मानव नहीं पचा सकता है, लेकिन जंतु घास को आसानी से पचा सकते है।
👉घास चरने वाले जंतुओं के आमाशय चार भागों में बटा होता है। प्रथम भाग को रूमेन कहते है। निगला हुआ भोजन रूमेन में इकठ्ठा होता है। फिर फुरसत से पेट से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकाल कर चबाते रहते है। चबाने के इस प्रक्रिया को जुगाली कहते है।
निगले हुए खाने को जुगाल या कड कहते है। छोटी आंत और बड़ी आंत के बीच एक थैलीनुमा संरचना होता है, जिसे अंधनाल कहते है।
JOIN NOW
दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 7वीं के विज्ञान के पाठ 01 जंतुओं में पोषण का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !