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Bihar Board Class 7th History Chapter 4 Solution mugal emperor मुगल साम्राज्य
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Bihar Board Class 7th History Chapter 4 Solution mugal emperor मुगल साम्राज्य

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7वीं अतीत से वर्तमान का पाठ ‘मुगल साम्राज्य’ का नोट्स को देखने वाले है। 

Bihar Board Class 7th History Chapter 4 Solution mugal emperor मुगल साम्राज्य

मुगल साम्राज्य

सल्तनत काल के अंतिम महत्वपूर्ण राजा फिरोज शाह तुगलक के मरने के बाद सल्तनत कमजोर पड़ने लगी। उसके बाद तुर्की आक्रमणकारी तैमूर ने (1398–99) भारत पर आक्रमण कर दिल्ली सल्तनत की प्रतिष्ठा खत्म कर दी।

उसके बाद अफगानों ने लोदी वंश की स्थापना की। सल्तनत कमजोर होने के कारण भारत कई राज्यों में बट गया। सल्तनत काल में दिल्ली 300 वर्षों तक तुर्की शासकों की राजधानी थी। क्योंकि दिल्ली एक महत्वपूर्ण शहर था।

उस समय बिहार में नुहानी अफगानों का शासन था। और सासाराम पर फरीद या शेर खान का शासन था। बाद में शेर खान ने नूहानी अफगानों को हराकर बिहार का राजा बन गया। और उसके बाद बंगाल के नुहानी अफगानों और शेर खान के बीच 1538 ईस्वी में युद्ध हुआ, जिसमें शेर खान जीत गया।

इसी समय काबुल और कंधार का राजा बाबर भारत पर आक्रमण किया। और बाबर अपनी आत्मकथा में लिखता है कि “ भारत अनेक छोटे-छोटे राज्य में बटा था और सभी अपने आप को सम्राट समझते थे।” बाबर अपने छोटे से राज्य को बढ़ाने और भारत की धन दौलत के बारे में सुनकर आया था।

भारत में मुगल राज्य की नींव

1526 ईस्वी में बाबर अपनी घुड़सवार सेना, तोप (इसका उपयोग भारत में नहीं होता था), बंदूक तथा घुड़सवार तीर शैली के साथ पानीपत पहुंचा। पानीपत का प्रथम युद्ध 1526 ईस्वी में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ। जिसमें इब्राहिम लोदी हार गया। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य राजाओं को पराजित करने लगा। 1527 में चितौड़ के राजा राणा सांगा, 1528 में चंदेरी के राजा मेदिनी राय आदि को बाबर ने हराया।

शेर खां का मुगलों के साथ संबंध

शेर खान कुछ दिनों तक बाबर के अधीन रहकर मुगलों की सेवा किया था। और उसके बाद अपने आपको राजा बनाने के लिए अपने आपको तैयार किया था। इसके बाद बाबर और शेर खान का युद्ध भी हुआ।

हुमायूं और मुगल अफगानों का संघर्ष

बाबर 1530 ईस्वी में मर गया। और उसके बाद बाबर का बड़ा लड़का हुमायूं बादशाह बना। इस समय भारत में अफगानों का शासन था। इसलिए हुमायूं ने अफगानों को हराने का प्रयास किया। इसने बंगाल को जीत लिया। और यहां आठ महीने रहा। इस बीच शेर खान ने चुनार, बनारस, जौनपुर, कन्नौज आदि क्षेत्र जीत लिया। और इसके बाद चौसा और कन्नौज नामक स्थान पर हुमायूं और शेर खान के बीच युद्ध हुआ, जिसमें शेर खान सफल रहा।

शेरशाह का शासन

शेर खान राजा बनने के बाद शेरशाह की उपाधि धारण की और उसने अपने राज्य में कानून व्यवस्था स्थापित की। शेरशाह सूरी जमींदारों को तय लगान वसूलने का आदेश दिया, और तय लगान से ज्यादा वसूलने वाले जमींदारों को दंडित किया।

शेरशाह सूरी द्वारा किया गया काम

(i) अलग-अलग फसल पर अलग-अलग लगान की दर को तय किया।
(ii) कर की दर उपज के आधार पर एक तिहाई थी।
(iii) सुखा और अकाल पड़ने पर लगान माफ था।
(iv) नहरों का निर्माण करवाया।
(v) व्यापार को बढ़ाने का प्रयास किया।
(vi) सड़कों की मरम्मत कराई तथा प्रत्येक आठ किलोमीटर पर सराय का निर्माण कराया।
(vii) सराय के अगल बगल छोटे-छोटे गांव बसाया। जैसे–मुगलसराय, दलसिंहसराय, बेगूसराय आदि।

शेरशाह

शेरशाह सूरी का शासन काल 5 वर्षों का था। और उसके मरने के बाद उसका राज्य ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया। शेरशाह की मृत्यु 1545 ईस्वी में हुआ था।

👉शेरशाह का मकबरा सासाराम में स्थित है।

बादशाह अकबर और मुगल राज्य का मजबूत होना

शेरशाह के मरने के बाद हुमायूं ने दुबारा 1555 ईस्वी में दिल्ली पर कब्जा कर लिया। और उसके बाद हुमायूं की मृत्यु हो गई। उसके मरने के बाद उसका बेटा अकबर 13 साल की उम्र में बादशाह बना (1556 ईस्वी में)। अकबर की छोटी उम्र को देखते हुए मुगलों के प्रमुख अधिकारी बैरम खान ने शासन का काम चलाया और अकबर को राजकाज की शिक्षा दी।

शिक्षा प्राप्त करने के बाद अकबर ने अपने राज्य को बढ़ाने के लिए सैनिक अभियान किया। इसमें दो राज्य प्रमुख था। एक राज्य मालवा था, जिसकी राजधानी मांडू थी और यहां राजा बाज बहादुर का राज था। और दूसरा गढ़ कटंगा ‘गोंडवाना’ था। इन दोनों राज्य से मुगल सेना और सेनापति अधम खां ने बहुत धन प्राप्त किया। लेकिन इस धन को अकबर को नहीं दिया, जिसके बाद अकबर ने इस जबरदस्ती छीना।

इसके बाद अकबर ने गुजरात और बंगाल को जीत लिया। चित्तौड़ का राजा महाराणा प्रताप थे, और इसके बाद अकबर ने चित्तौड़ को जीत लिया। चित्तौड़ के बाद अकबर ने रणथंभौर, जैसलमेर तथा बीकानेर को जीत लिया। गुजरात को जीतने के बाद अकबर ने बुलंद दरवाजा का निर्माण करवाया। अकबर की मृत्यु 1605 ईस्वी में हुई।

मुगल राज्य के अमीर

अकबर के बड़े अधिकारी को अमीर कहा जाता था, और इनकी संख्या 51 थी। और ये लोग मुगल साम्राज्य के सभी काम-काज करते रहते थे। और ये सभी अधिकारी बाबर के साथ तुर्किस्तान से आए थे। अकबर के दरबार में बहुत अधिकारी अकबर के रिश्तेदार थे, और वे अपनी मनमानी करते थे। और ये सब अकबर को पसंद नहीं था। अकबर इस स्थिति से निपटने के लिए हुमायूं के साथ आए ईरानी को अमीर बनाया। इसके साथ-साथ वह हिंदुस्तान मुसलमानों को भी अमीर बनाया।

राजपूतों को अमीर बनाने के लिए अकबर ने राजपूतों से दोस्ती की। और राजपूतों के विवाह संबंध नीतियों को अपनाकर अपने अधीन कर लिया। 1563 ईस्वी में तीर्थयात्रा कर बंद कर दिया। 1564 ईस्वी में जजिया कर लेना बंद कर दिया।

मुगल प्रशासन एवं मनसबदार

अबुल फजल की रचना ‘अकबरनामा’ और ‘आइन-ए-अकबरी’ में अकबर की शासन व्यवस्था के बारे में लिखा हुआ है। अबुल फजल के अनुसार मुगल साम्राज्य कई प्रांत (राज्य) में बंटा था, जिसे सूबा (प्रांत) कहते थे। इसका प्रमुख अधिकारी सूबेदार कहलाता था। सूबेदार राजनैतिक तथा सैनिक दोनों प्रकार का काम करता था। मुगल साम्राज्य 15 सूबे में बंटा था। और सूबा, सरकार (जिला) में विभक्त था। और सरकार कई परगनों (प्रखंड) में बंटा था।

मुगल मनसबदार

मुगल साम्राज्य के अधिकारियों को मनसबदार कहा जाता था। और पूरे मुगल साम्राज्य में हजारों छोटे बड़े मनसबदार थे। और इनका बादशाह के कानून और आदेश लागू करना था तथा सैनिक तैयार करना था। मनसबदार को अमीर भी कहा जाता था। और अमीर को 8000 से 45000 रुपया महीना मिलता था। और मनसबदार को इसी पैसा से 340 घोड़े, 100 हाथी, 800 ऊंट, 100 खच्चर तथा 160 गाडियां रखनी पड़ती थी।

अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी

अबुल फजल ने तीन भागों में अकबर का इतिहास लिखी जिसका नाम ‘अकबरनामा‘ था, प्रथम भाग अकबर के पूर्वजों का बयान है। दूसरे में अकबर के शासन काल का इतिहास है जिसका नाम ‘आइन-ए-अकबरी‘ है, इसमें प्रशासन, सेना, राजस्व आदि के बारे में लिखा है।

मनसबदार के पास जितना जात की संख्या होती थी, वह उतना ही बड़ा अधिकारी होता था। सवार के द्वारा किसी मनसबदार को कितना पैदल सैनिक, कितना घोड़ा और हाथी रखना है, यह बताता था। मनसबदार को दी गई भूमि को जागीर कहते थे।

आम लोगों का जीवन

मुगल साम्राज्य के आम लोगों के जीवन के बारे में अलग-अलग इतिहासकार अलग-अलग बातें लिखते है। बाबर की आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी है। जिसमें बाबर अपने बारे और वहां के आम लोगों के बारे में लिखता है कि

(i) यहां के किसान कपड़े बहुत कम पहनते थे।
(ii) ये लोग जूते नहीं पहनते थे।
(iii) मिट्टी के घर में रहते थे।
(iv) घर में चारपाई, चटाई और मिट्टी के बर्तन थे।
(v) ये लोग चावल, बाजरा और दाल खाते थे।
(vi) ये लोग गाय, भैंस रखते थे।

मुगलों की धार्मिक नीति और भारतीय लोगों के साथ उनका मिलन

अकबर के समय सारे शासक मुसलमान थे, फिर भी अकबर हिंदुओं का समर्थन प्राप्त किया था। और अकबर ने एक नई धार्मिक नीति सुलह-ए-कुल (सर्वत्र शांति) को अपनाया। और यह नीति सच्चाई, न्याय और शांति पर बल देता था। इस नीति को जहांगीर और शाहजहां ने भी अपनाया लेकिन औरंगजेब के समय यह नीति खत्म हो गई। अकबर ने दिन-ए-एलाही नीति को अपनाया था।

जहांगीर

अकबर के मरने के बाद उसका बेटा जहांगीर बादशाह बना। इसके समय में अकबर के नीति के कारण युद्ध बहुत कम हुए। और यह अपने पिता द्वारा जीता गया क्षेत्र को संभालने का काम किया। इसने मेवाड़ के राणा, पंजाब के कांगड़ा और अहमदनगर राज्य में शांति स्थापित किया। जहांगीर की मृत्यु 1628 ईस्वी में हुई थी।

शाहजहां

जहांगीर के मरने के बाद उसका बेटा शाहजहां बादशाह बना। और शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण करवाया। बुंदेलखंड और दक्षिण भारत के विद्रोह को दबाया। बीजापुर और गोलकुंड के राजा को उसका अधीनता स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। और उसने कंधार को जीत का प्रयास किया। और शाहजहां ने अपने राज्य को बढ़ाया। शाहजहां की मृत्यु 1666 ईस्वी में हुई।

औरंगजेब का शासन काल

शाहजहां के चार बेटे थे– दारा, शुजा, औरंगजेब और मुराद। और ये चारों राजा बनाना चाहते थे। और शाहजहां दारा को राजा बनाना चाहता था। लेकिन बाकि तीनों भाइयों ने इस बात को नहीं माना। और अंत में चारों भाइयों में युद्ध होता है, जिसमें औरंगजेब जीत गया। और अपने आपका राजा बना लिया तथा अपने पिता को 8 साल तक जेल में बंद रखा।

औरंगजेब राजा बनने के बाद बीजापुर और गोलकुंडा को अपने राज्य में मिला लिया। और औरंगजेब के समय मुगल साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर तमिलनाडु तक फैला था। बड़ा क्षेत्र होने के कारण कई समस्या उत्पन्न होने लगी। जो आगे चलकर मुगल साम्राज्य का पतन का कारण बनी। और औरंगजेब की मृत्यु 1707 ईस्वी में हुआ।

मुगल साम्राज्य का पतन का कारण

(i) औरंगजेब के उत्तराधिकारी इतना बड़ा साम्राज्य को संभाल नहीं पा रहे थे।
(ii) गद्दी के लिए संघर्ष होने लगा।
(iii) धन की कमी।
(iv) विदेशी आक्रमण

1739 ईस्वी में ईरान के शासक नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण कर तहस-नहस कर दिया। यहां से साठ लाख रुपए, हजारों सोने के सिक्के, सोने के बर्तन, पचास करोड़ का हीरे जवाहरात, शाहजंहा द्वारा बनवाया गया मयूर सिंहासन और कोहिनूर हीरा लूट कर ले गया।

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 7वीं के अतीत से वर्तमान के पाठ 04 ‘मुगल साम्राज्य’ का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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