आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 6वीं इतिहास का पाठ ‘जीवन के विभिन्न आयाम’ का नोट्स को देखने वाले है। Jivan ke Vibhinn Aayam
जीवन के विभिन्न आयाम |
प्रश्न 1. वेद किसे कहते है?
उत्तर– वेद, दुनिया का सबसे पुराना लिखा हुआ धार्मिक ग्रंथ हैं। वेद को श्रुति (सुना हुआ) भी कहते है।
👉 वेद की भाषा को प्राक् संस्कृत या वैदिक संस्कृत कहते है। यह आज की संस्कृति से थोड़ी अलग थी।
>> बहुत समय पहले वेद, मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता था। लेकिन बाद में इसे लिखा गया।
👉 वेद चार प्रकार के होते है
(i) ऋग्वेद
(ii) यजुर्वेद
(iii) सामवेद
(iv) अथर्ववेद
👉 वैदिक साहित्य दो भागों में बंटा है।
(i) पूर्व वैदिक साहित्य या ऋग्वैदिक साहित्य = पूर्व वैदिक साहित्य में केवल ऋग्वेद के बारे में पढ़ते है।
(ii) उत्तरवैदिक साहित्य = उत्तरवैदिक साहित्य में शेष तीन वेद (यजुर्वेद, सामवेद अथर्ववेद) ब्राह्मण, अरण्यक और उपनिषद् के बारे में पढ़ते हैं।
👉 वैदिक युग को दो कालखडों में बांटा गया है
(i) ऋग्वैदिक युग (1500 ई.पू से 1000 ई. पू.)
(ii) उत्तरवैदिक युग (1000 ई.पू. 800 ई.पू.)
वैदिक साहित्य
(i) वेद की संख्या – 4
(ii) ब्राह्मण की संख्या – 9
(iii) अरण्यक की संख्या – 6
(iv) प्रारंभिक उपनिषद् की संख्या – 13
(v) कुल उपनिषद् की संख्या – 108
प्रश्न 2. आर्य कौन थे?
उत्तर– ‘आर्य’ शब्द का अर्थ एक विशेष भाषा बोलने वाले व्यक्तियों के समूह से है, जिन्होंने सर्वप्रथम पश्चिमोत्तर भारत में अपना निवास स्थान बनाया और भारत में एक नयी संस्कृत्ति को विकसित किया, जो वैदिक संस्कृति के नाम से जानी जाती है।
👉 संस्कृत भाषा भारोपीय (भारत और यूरोप) भाषा का अंग है। क्योंकि यह भारतीय और यूरोपीय भाषा से मिलता जुलता है।
आर्यो का बसाव
ऋग्वेद में आर्य के निवास स्थान को सप्तसैन्धव कहा गया है, और यह पंजाब (पाकिस्तान वाला) वाले क्षेत्रों में रहते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह बिहार के गंडक नदी तक फैल गए।
प्रश्न 3. गंगा यमुना दोआब किसे कहते है?
उत्तर– गंगा एवं यमुना नदी के बीच के क्षेत्र को गंगा यमुना दोआब कहते है।
👉 कबीला – कबीला में एक वंश या परिवार के कई पीढ़ी एक साथ रहते थे।
ऋग्वैदिक काल
(i) ऋग्वैदिक काल में अधिक गाय रखने वाले अधिक अमीर होते थे। और इन गायों की रक्षा के लिए एक सरदार (राजन) होता था।
(ii) जो अधिक बहादुर या कुशल युद्धा होता था, वहीं राजन (मुखिया) बनता था। राजन कबीले का प्रधान होता था।
(iii) सभा के सदस्य प्रतिष्ठित लोग होते थे, जबकि समिति के सदस्य आम लोग होते थे। सभा और समिति दोनों में राजन भाग लेते थे। इसमें महिला भी भाग लेती थी।
(iv) ऋग्वैदिक काल में आर्यो का मुख्य पेशा पशुपालन था। और यह पशुओं की चारा के तलाश में विभिन्न जगह जाते थे। और यह जौ (यव) की खेती करते थे, क्योंकि जौ बहुत कम समय में तैयार हो जाता है।
(v) ऋग्वैदिक काल में लोग प्रकृति की पूजा करते थे। जिनमें इंद्र, अग्नि, सोम प्रमुख थे। इंद्र युद्ध के देवता, अग्नि आग के देवता तथा सोम एक पौधा था, जिससे पीने वाला पदार्थ बनाया जाता था।
(vi) ऋग्वेद के पुरुषसूक्त में चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र) की कल्पना की गई है। लेकिन समाज वर्ग में नहीं बंट पाया था।
उत्तरवैदिक काल
(i) उत्तरवैदिक काल के लोगों का मुख्य पेशा कृषि था। और यह लोग स्थाई रूप से एक जगह रहने लगे थे।
(ii) उत्तरवैदिक काल में लोहे का खोज हुआ। और लोहे का उपयोग औजार, हल तथा अन्य चीज बनाने में करने लगे।
(iii) हस्तिनापुर, आलमगीरपुर तथा अतरंजीखेड़ा आदि जगहों से लोहे के औजार मिले है।
(iv) यह लोग विशेष प्रकार के बर्तन बनाते थे, जिन्हें चित्रित धूसर पात्र कहते है।
(v) उत्तरवैदिक काल में छोटे-छोटे कबीले (जन) आपस में मिलकर बड़े क्षेत्र का निर्माण किए, जिसे जनपद कहा जाता था। पुरु एवं भरत जन मिलकर ‘कुरु’ जनपद तथा दुर्वश एवं क्रिवि जन मिलकर ‘पांचाल’ जनपद बनाए।
(vi) यज्ञ के काम एवं अनुष्ठान को पूरा करने वाले लोगों को पुरोहित कहते है। पुरोहित ने लोगों को चार वर्गों में बांटा, जिन्हें वर्ण कहते है।
(vii) उत्तरवैदिक काल में महिलाओं तथा शूद्रों को वेदों को पढ़ने का अधिकार नहीं था।
अश्वमेघ यज्ञ
अश्वमेघ यज्ञ में एक घोड़े को राजा के लोगों की देख-रेख में स्वतंत्र रूप से विचरण के लिए छोड़ दिया जाता था। यदि कोई दूसरा राजा इस घोड़े को रोकता था तो उसे अश्वमेध यज्ञ करने वाले राजा के साथ युद्ध करना पड़ता था।
अगर किसी क्षेत्र से घोड़े को जाने दिया जाता था तो इसका मतलब यह होता था कि अश्वमेध यज्ञ करने वाला राजा उससे ज्यादा शक्तिशाली था। यज्ञ के अवसर पर राजा की विजयों तथा अन्य गुणो का गान किया जाता था।
वैदिककालीन शिक्षा
(i) वैदिक काल में शिक्षा मौखिक रूप से दिया जाता था। और इसमें विद्यार्थियों को वेद, गणित तथा व्याकरण का शिक्षा दिया जाता था।
(ii) शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को 12 वर्षों तक गुरु के आश्रम में रहना पड़ता था।
(iii) आश्रम वनों में होते थे, और ऋषि मुनि शिष्यों को शिक्षा देते थे।
इनामगांव : एक ताम्रपाषाण बस्ती
(i) महाराष्ट्र राज्य में घोड़ नदी के किनारे एक ताम्रपाषाण (तांबा+पत्थर) बस्ती थी, जिसे इनामगांव कहा जाता था।
(ii) इस गांव की खुदाई करने पर पत्थर के अलावा तांबा से बने वस्तु मिला है।
(iii) इनामगांव के लोग मिट्टी के बने झोपड़ी में रहते थे, तथा नारंगी रंग से रंगे मिट्टी के बर्तन का उपयोग करते थे।
(iv) इनामगांव के लोग खेती और पशुपालन किया करते थे।
(v) इनामगांव के लोग मृतकों को मकान के आंगन में दफनाते थे। लेकिन दफनाने से पहले उसमें खाने-पीने की वस्तु, हथियार तथा गहने भी डालते थे।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 6वीं के इतिहास के पाठ 06 जीवन के विभिन्न आयाम (Jivan ke Vibhinn Aayam) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !