आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं हिंदी का पाठ ‘विष के दाँत’ का नोट्स देखने वाले है। vish ke dant
विष के दाँत |
लेखक परिचय
लेखक– नलिन विचोलन शर्मा
जन्म– 18 फरवरी 1916 ई० (पटना के बदरघाट)
निधन– 12 सितम्बर 1961 ई०
पिता – पं० रामावतार शर्मा
माता – रत्नावती शर्मा
उन्होनें स्कुल की पढ़ाई पटना कॉलेजिएट से पूरी की तथा संस्कृत और हिन्दी में एम० ए० पटना विश्वविद्यालय से किया।
प्रमुख रचनाएँ– दृष्टिकोण, साहित्य का इतिहास दर्शन, मानदंड, साहित्य तत्व और आलोचना, विष के दाँत तथा संत परम्परा और साहित्य।
पाठ का सारांश
प्रस्तुत कहानी ‘विष के दांत’ नलिन विलोचन शर्मा द्वारा लिखा गया है। जिसमें मध्यमवर्गीय अन्तर्विरोधों को उजागर किया गया है। सेन साहब एक अमीर आदमी थे। उनकी पाँच लड़कियाँ थी और एक लड़का था। लड़कियाँ क्या थी कठपुतलियाँ। वे किसी चीझ को ताड़ती-फोड़ती न थी। दौड़ती और खेलती भी थी, तो केवल शाम के वक्त। सेन साहब नयी मोटरकार लिए थे– इस मोटरकार का नाम स्ट्रीमलैण्ड था। और यह काला रंग का खुबसूरत गाड़ी थी। मोटरकार पर एक धब्बा भी न लगने पाये इसलिए सेन साहब ने क्लिनर और शोफर को रखा था। चूँकि खोखा सबसे छोटा और सेन साहब के बुढ़ापे की आँखों का तारा था इसलिए मोटर को कोई खतरा था तो खोखा से ही था।
एक दिन की बात है कि सेन साहब का शोफर एक औरत से उलझ पड़ा बात यह थी कि उसका पाँच-छः साल का बच्चा मदन गाड़ी को छुकर गंदा कर रहा था और शोफर ने जब मना किया तो वह उल्टे शोफर से ही उलझ पड़ी।
वह मामला अभी सिमटा ही था कि इस बीच खोखा ने मोटर की पिछली बती का लाल शीशा चकनाचुर कर दिया। लेकिन सेन साहब ने इसका बुरा नहीं माना और अपने मित्रों से कहा- ‘देखा, आपलोगों ने ? बड़ा शरारती हो गया है काशु। मोटर के पिछे हरदम पड़ा रहता है। काशु ने मिस्टर सिंह साहब के अगले तथा पिछले पहीयां के हवा निकाल दी थी। जब मिस्टर सिंह चले हो गये तो सेन साहब ने मदन के पिता गिरधर लाल को जो उनके फैक्ट्री में किरानी था। उसे सेन साहब ने खुब खरी- खोटी सुनाई और कहा कि बच्चों को सम्भाल कर रखो। उस रात गिरधारी लाल ने अपने बेटे मदन की खुब पिटाई की।
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दूसरे दिन शाम को मदन, कुछ लड़कों के साथ लट्टू नचा रहा था। खोखा ने भी लट्टू नचाने के लिए माँगा लेकिन मदन ने उसे फटकार दिया- ‘अबे, भाग जा यहाँ से ! बड़ा आया है लट्टू नचाने, जा अपने बाबा की मोटर पर बैठ।’
काशु को गुस्सा आ गया, वह इसी उम्र में अपनी बहनों पर, नौकरों पर हाथ चला देता था और क्या मजाल उसे कोई कुछ कह दे। उसने न आव देखा न ताव, मदन को एक घुस्सा कस दिया। मदन भी काशु पर टूट पड़ा। उसकी मरम्मत जमकर कर दी। काशु रोता हुआ घर चला गया।
लेकिन मदन घर नहीं लौटा। आठ-नौ बजे रात को मदन इधर-उधर घूमते हुए गली के दरवाजे से घर में घुसा। उसे डर लग रही थी, कि आज अन्य दिनों की अपेक्षा मार अधिक लगेगी। रसोई घर में घुसा और भरपेट खाना खाया। फिर बगल वाले कमरे के दरवाजे पर जाकर अन्दर की बात सुनने लगा।
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उसे इस बात का ताज्जुब हो रहा था कि उसके पिता क्यों गरज नहीं रहे हैं, जबकि उसने काशु के दो दाँत तोड़ डाले थे। इसका कारण यह था कि उसके पिता को नौकरी से हटा दिया गया था और मकान खाली करने का आदेश दिया जा चूका था। वह दबे पाँव बरामदे पर रखी चरपाई की तरफ सोने के लिए चला कि अँधेरे में उसका पैर लोटे पर लग गया, ठन्-ठन् की आवाज सुनकर गिरधर बाहर निकला और मदन की ओर बढ़ा, उसके चेहरे से नाराजगी के बादल छूट गए।
उसने मदन को अपनी गोद में उठाकर बेपरवाह, उल्लास और गर्व के साथ बोल उठा, जो किसी के लिए भी नौकरी से निकाले जाने पर ही मुमकिन हो सकता है, शाबाश बेटा ! एक तेरा बाप है, और तु ने तो खोखा के दो दाँत तोड़ डाले। लेखक के कहने का तात्पर्य है कि कोई व्यक्ति स्वार्थवश ही किसी का अपमान सहन करता है। इसी मजबुरी के कारण गिरधर अपने पुत्र को निर्दोष होते हुए भी पीटता था, क्योंकि विष के दाँत लगे हुए थे, इसे टूटते ही दुत्कार प्यार में बदल जाता है।
अभ्यास
प्रश्न 1. विष के दाँत शीर्षक कहानी का नायक कौन है ? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर– विष के दाँत कहानी में मदन ऐसा पात्र है जो अहंकारी के अहंकार को नहीं सहन करता है बल्कि उसका स्वाभिमान जागृत होता है और वह ‘खोखा’ जैसे बालक को ठोकर देकर वर्षों से दबे अपने पिता की आँखें भी खोल देता है। सम्पूर्ण कहानी में मदन की क्रांतिकारी भूमिका है। अतः इसका नायक मदन है।
प्रश्न 2. खोखा किन मामलों में अपवाद था ?
उत्तर– सेन साहब एक अमीर आदमी थे। खोखा उनके बुढापे की आँखों का तारा था। इसीलिए मिसेज सेन ने उसे काफी छूट दे रखी थी। खोखा जीवन के नियम का जैसे अपवाद था और इसलिए यह भी स्वाभाविक था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद था।
प्रश्न 3. ‘विष के दाँत’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– ‘विष के दाँत’ शीर्षक महल और झोपड़ी की लड़ाई की कहानी है। मदन द्वारा पिटे जाने पर खोखा के जो दाँत टूट जाते हैं वे अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार के विरुद्ध एक चेतावनी है, सशक्त विद्रोह है। यहीं। इस कहानी का लक्ष्य है। अतः निसंदेह कहा जा सकता है कि ‘विष के दाँत’ इस दृष्टि से बड़ा ही सार्थक शीर्षक है।
अमीरों के विष के दाँत तोड़कर मदन ने जिस उत्साह, ओज और आग का परिचय दिया है वह समाज के जाने कितने गिरधर लालों के लिए गर्वोल्लास की बात है। इसमें लेखक द्वारा दिया गया संदेश मार्मिक बन पड़ा है।
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प्रश्न 4. काशू का चरित-चित्रण करें।
उत्तर– काशू समृद्ध पिता का शोख लडका है। माता-पिता और बहनों को अतिशय प्रेम पाकर उसके स्वभाव में एक प्रकार का दुराग्रह व्याप्त हो गया है। वह जिद्दी स्वभाव का है, उसके मन में जो आता है, वही करता है। उसमें अहंकारवृत्ति भी है।
प्रश्न 5. आपकी दृष्टि में कहानी’विष के दाँत’ का नायक कौन है तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर– हमारी दृष्टि में विष के दाँत शीर्षक कहानी का नायक मदन है। सारे पात्रों में सर्वाधिक प्रभावशाली है और कथावस्तु में उसका ही महत्त्व सर्वोपरि है।। इस दृष्टि से विचार करने पर स्पष्ट ज्ञात होता है कि इस कहानी का नायम् मदन। ही है। इसमें मदन का ही चरित्र है जो सबसे अधिक प्रभावशाली है। पूरी कथावस्तु में इसी के चरित्र का महत्त्व है। खोखे के विष के दाँत उखाड़ने की महत्त्वपूर्ण घटना। का भी वही संचालक है। अतः निर्विवाद रूप से मदन की कहानी का नायक है।
प्रश्न 6. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन- पोषण में किए जा रहे । लिंग-आधारित भेद भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर– सेन साहब अमीर आदमी थे। उनकी पाँच लड़कियाँ थी एवं एक लड़का था। उस परिवार में लड़कियों के लिए घर में अलग नियम तथा शिक्षा थी। लेकिन लड़का, के लिए अलग नियम एवं अलग शिक्षा ।
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प्रश्न 7. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर– मदन और ड्राइवर के बीच विवाद के द्वारा कहानीकार बताना चाहते हैं। कि अपने पर किये गये अत्याचार का विरोध करना पाप नहीं है। सेन साहब की नयी चमकती काली गाड़ी को केवल छूने भर के तथाकथित अपराध के लिए मदन शोफर द्वारा घसीटा जाता है। यह गरीब बालक पर अत्याचार है। मदन द्वारा उसका मुकाबला करना अत्याचारियों पर विजय प्राप्त करने का प्रयास है।
प्रश्न 8. आरंभ से ही कहानीकार को स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करे।
उत्तर– ‘विष के दाँत’ कहानी के प्रारंभ में मोटर कार की बात की प्रस्तुति व्यंग्यात्मक शैली में है। उनके लड़कियाँ के गुणों की चर्चा, सेन साहब द्वारा खोखा को एक इंजीनियर के रूप मे देखना, उसकी हमेशा प्रशंसा करना भी लेखक का व्यंग्य ही है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया ?
उत्तर– एक दिन सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे गपशप कर रहे थे। उनमें एक साहब साधारण हैसियत के अखबारनवीस थे और साथ में उनका लड़का भी था, जो था तो खोखा से भी छोटा, पर बड़ा समझदार और होनहार मालूम पड़ता था। किसी ने उसकी कोई हरकत देखकर उसकी कुछ तारीफ कर दी और उन साहब से पूछा कि बच्चा स्कूल तो जाता ही होगा?
इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देत, सेन साहब ने शुरू किया- मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा है, और वे हो बातें दुहराकर वे थकते नहीं थे। पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे। जब उनसे फिर पूछा गया कि अपने बच्चे के विषय में उनका क्या ख्याल है, तब उन्होंने कहा मैं चाहता हूँ कि वह जेंटलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।” सेन साहब इस उत्तर के शिष्ट और प्रच्छन्न व्यंग्य पर ऐठकर रह गए।
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प्रश्न 2. सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र-चित्रण करे।
उत्तर– प्रस्तुत कहानी में लेखक ने अमीरों की तथाकथित मर्यादा पर करारा व्यंग्य किया है। महल और झोपड़ी की लड़ाई में महल की खिल्ली उडाना हो इस कहानी में कहानीकार का मुख्य संदेश है। सेन साहब प्रदर्शन, प्रिय अमीर आदमी हैं। वे गरीबों का शोषण करके उन्हें प्रताड़ित करके अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने वाले बाह्याडम्बर से युक्त धनी आदमी के रूप में दिखाये गये हैं।
खोखा महल में रहकर लाड़-प्यार से बिगड़ा हुआ बड़े बाप की औलाद के रूप में चित्रित है। वह अहंकारी बालक है। वह देश का प्रतीक है। मदन अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार के विरुद्ध एक चेतावनी है, सशक्त विद्रोह है। गिरधर अत्याचार, शोषण एवं अन्याय को सहनेवाला लाचार एवं विवश इनसान है। लेकिन अंतर्मन से वह अत्याचार का समर्थन नहीं करता है, बल्कि उसका प्रतिकार करने की इच्छा रखता है। वैसे तो कहानी में कई पात्र आये हैं, सेन साहब, खोखा, गिरधरलाल आदि मगर सभी पात्रों में यह मदन का ही चरित्र है जो सवाधिक प्रभावशाली है। मदन का चरित्र उसके व्यक्तित्व को हँक लेता है। मदन के चरित्र की विशेषता है, निर्भीकता। वह दुलियों के दिल की चिनगारी है।
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प्रश्न 3. सेन साहब के परिवार में बचा के पालन पोषण में जा रहे लिंग-आधारित भेद भाव को अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर– सेन साहब अमीर आदमी थे। उनकी पाँच लड़कियाँ थी एक लड़का था। उस परिवार में लड़कियों के लिए घर में अलग नियम तथा शिक्षा थी। लेकिन लड़का, के लिए अलग नियम एवं अलग शिक्षा । लड़कियों के लिए सामान्य शिक्षा की व्यवस्था थी। वहीं खोखा को प्रारंभ से ही इंजीनियर के रूप में देखा जा रहा था। लड़कियाँ कठपुतली स्वरूप थीं। उन्हें क्या नहीं करना चाहिए यह पूरी तरह से सिखाया गया था। दूसरी ओर खोखा (लड़का) के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार सिद्धान्तों को बदल देना सेन परिवार के लिए सामान्य बात थी। इस तरह से उस परिवार में लिंग-आधारित भेद भाव व्याप्त था।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं के हिंदी के पाठ 02 ‘विष के दाँत’ का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !