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Bihar Board Class 8th History Chapter 2 Solutions भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 8वीं अतीत से वर्तमान का पाठ ‘भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना’ का नोट्स को देखने वाले है। Bihar Board Class 8th History

Bihar Board Class 8th History Chapter 2 Solutions भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना

भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना

भारत और यूरोप के बीच व्यापार

भारतीय व्यापारियों से समान खरीद कर अरब के लोग अपने बाजार में ले जाकर बेचते थे । जहां यूरोप के लोग आकर अरब के लोगो से समान खरीदते थे। इस तरह के व्यापार से यूरोप के लोगो तक समान पहुंचते-पहुंचते काफी महंगा हो जाते थे । इसके बाद यूरोप के लोगो ने लाल सागर से होते हुए स्थल मार्ग से व्यापार करने का निश्चय किया ।

👉 लाल सागर से होते हुए स्थल मार्ग से व्यापार करने में दिक्कत–

(i) अधिक कर देने पड़ते थे
(ii) सामानों का लूटाने का डर
(iii) सामान खराब होने का डर
(iv) अरब के व्यापारी मुश्किल खड़ी करते थे ।

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1498 ईस्वी में पुर्तगाल का नाविक वास्कोडिगामा यूरोप से होकर अफ्रीका का चक्कर लगाते हुए उत्तमाशा अंतरिप ( कैप ऑफ गुड हाेप) के मार्ग से भारत के कालीकट बंदरगाह पहुंचा ।

➢ वास्कोडिगामा भारत से गरम मसाला लेकर अपने देश यूरोप गया । और उसको 60 गुना ज्यादा का लाभ हुआ । इसके बाद इसी मार्ग से यूरोप की कंपनिया भारत में आकर व्यापार करने लगी ।

👉 ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1600 को लंदन में किया गया । इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने पंद्रह वर्ष के लिए भारत के साथ व्यापार करने का एकाधिकार प्राप्त कर लिया । इसके बाद पंद्रह वर्ष के लिए पूर्वी भारत के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी ही व्यापार कर सकती थी ।

⪼ यूरोप एक ठंडा प्रदेश है, और यह के लोग अधिक मात्रा में मांसाहारी खाना खाते है । और इसके लिए उसको अधिक मात्रा में गरम मसाले की जरूरत पढ़ती थी। और सभी गरम मसाले भारत से ही यूरोप जाया करते थे।

➣ गरम मसाले के अलावा भारत से नील ( कपड़े रंगने में ) तथा शोरा ( बारूद बनाने के काम में ) भी यूरोप में जाया करता था । और इनकी फैक्ट्री बंदरगाह के किनारे बनी थी और इस फैक्ट्री की रक्षा यूरोप की सैनिक किया करते थे ।

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प्रश्न 1. वाणिज्यवाद किसे कहते है?
उत्तर— लाभ कमाने के उद्देश्य से की गई व्यापारिक गतिविधियों को वाणिज्यवाद कहते है। इसमें किसी देश की संपदा का अंदाजा उसके पास जमा मूल्यवान वस्तुओं से की जाती है।

अंग्रेज और फ्रांसीसी संघर्ष

👉 उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी के अलावा फ्रांस की कंपनी भी भारत से व्यापार कर रही थी । ईस्ट इंडिया कंपनी की शाखा सूरत, मछलीपट्टनम , हुगली , पटना , कासिम बाजार आदि जगहों पर थी । इंग्लैंड की कपनी और फ्रांस की कंपनी में संघर्ष शुरू होने लगा । कर्नाटक मुगल साम्राज्य का एक सूबा था। और फ्रांसीसी कंपनी का कार्यालय इसके करीब था । सन् 1740 के आस-पास कर्नाटक के नवाब ने फ्रांसिसियो के खिलाफ सेना भेजी। और इस युद्ध में कर्नाटक हार गया।

अंग्रेज और बंगाल

⪼ बंगाल में अंग्रेजी ने कलकत्ता में अपना फैक्ट्री बनाया । बंगाल मुगल साम्राज्य का एक धनी और बड़ा राज्य था । इसमें उस समय बिहार और उड़ीसा शामिल थे । मुर्शीद कुली खां के बाद अलीवर्दी खान 1740 ईस्वी में बंगाल का नवाब बना । अलीवर्दी खान ने यूरोप के व्यापारियों को हमेशा नियंत्रण में रखा । इसके बाद उसका नाती सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना । सिराजुद्दौला के नवाब बनने के कारण उसके परिवार में हमेशा झगड़े हुआ करते थे । और इसी साजिश का फायदा उठाकर अंग्रेज बंगाल में आए ।

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➢ उस समय बंगाल की राजधानी मुर्शिदाबाद थी ।

बंगाल पर व्यापार से शासन तक

👉 बंगाल में पहली अंग्रेजी फैक्ट्री 1651 ईस्वी में हुगली नदी के किनारे बसा । धीरे धीरे इस कंपनी के किनारे लोग बसने लगे । इसके बाद इस कंपनी के चारो ओर एक किला का निर्माण किया गया और इस किला का नाम फोर्ट विलियम रखा गया । और बंगाल में 1696 ईस्वी में अंग्रेज 1200 रुपए देकर तीन गांव की लगान वसूलने का अधिकार ले लिया । ये गांव थी – गोविंदपुर, सूतानाती और कालीकाता । आगे चलकर ये गांव कलकता कहा जाने लगा ।

➣ कंपनी ने मुगल सम्राट फर्रुखसियर से 1717 ईस्वी में एक आदेश जारी करवाया । इस आदेश के अनुसार तीन हजार रुपए वार्षिक कर के बदले बिना कोई अन्य कर दिए बंगाल में व्यापार करने की अनुमति मिल गई । इस आदेश का फायदा कंपनी के कर्मचारी अपने निजी लाभ के लिए भी करने लगे । यह व्यवस्था सिराजुद्दौला को पसंद नही आया । और उसने कंपनी को अपनी फैक्ट्री को बंद करने को कहा ।

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और उसके बाद कंपनी ने सिराजुद्दौला को हटाने का निश्चय किया । सिराजुद्दौला ने 30,000 सिपाहियो के साथ कासिम बाजार में स्थित अंग्रेजी फैक्ट्री पर हमला बोल दिया । कंपनी की ओर से सेना का नेतृत्व राबर्ट क्लाइव कर रहे थे । जून, 1757 ईस्वी में मुर्शिदाबाद के पास पलासी में युद्ध हुआ जिसमे सिराजुद्दौला मारा गया और इसके बाद बंगाल का नवाब मीर जाफर बना ।

👉 पलासी का असली नाम फलाशी थी, जिसे अंग्रेजों ने बिगाड़ कर पलासी कर दिया । और यह पर एक पलाश नाम के फूल भी पाए जाते है । और इस फूल से गुलाल बनाता है और इसका इस्तमाल होती में होता है ।

मीर जाफर

मीर जाफर के नवाब बनने के बाद कंपनिया फिर मुनाफा कमाने लगे और मीर जाफर से अधिक से अधिक कंपनिया मांगो को पूरा करवाने लगी । कंपनी की मांगो को पूरा करने में खजाना खाली होने लगा । और इसके बाद मीर जाफर को अपनी गलती का अहसास हुआ । और उसने इसका विरोध किया, जिसके बाद कंपनी ने मीर जाफर को हटाकर बंगाल का नवाब मीर जाफर के दामाद मीर कासिम को 1760 में बना दिया गया ।

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मीर कासिम

मीर कासिम ने बंगाल का नवाब बनने की खुशी में कंपनी को बर्दवान, मिदनापुर तथा चटगांव की जमींदारी सौंप दी । और उसके बाद मीर जाफर के उन सभी अफसरों को हटाना शुरू किया जो कंपनी से मिले हुए थे ।

मीर कासिम द्वारा किया गया कार्य

(i) कर की वसूली खत्म कर दी।
(ii) बंगाल की राजधानी मुर्शिदाबाद से हटाकर मुंगेर कर लिया। और मुंगेर की किलेबंदी की और चालीस हजार सैनिकों की फौज तैयार की।
(iii) मुंगेर में बंदूक और तोपों की कारखाने स्थापित किया।

मीर कासिम के इन कदमों से कंपनी नाराज हो गई और उसने मीर कासिम को हटाने का निश्चय किया । इसके बाद मीर कासिम ने मुगल शासक शाह आलम और अवध के नवाब शुजाउद्दौला से मदद मांगी । इसके बाद इन तीनों की सेना की, कंपनी की सेना के साथ बिहार के बक्सर में 1764 में युद्ध हुआ । जिसमे भारतीय सेना हार गई । हार के बाद सन् 1765 ईस्वी में शुजाउद्दौला और शाह आलम ने इलाहाबाद में क्लाइव के साथ एक समझौता किया । इस समझौता के अनुसार बंगाल, बिहार और उड़ीसा का राजस्व वसूली का अधिकार कंपनी को मिल गया ।

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👉 इस समझौता के बाद कंपनी भारत से समान खरीद कर इंग्लैंड भेज सकती थी, और उन्हें अपने देश से सोना और चांदी लाने की जरूरत नहीं पड़ती थी । इस तरह वे भारत के लोगो से पैसा वसूल कर भारत का ही समान खरीद कर यूरोप भेजते थे और मुनाफा कमाते थे ।

प्रश्न 2. दस्तक किसे कहते है ?
उत्तर– दस्तक एक प्रकार का प्रमाण पत्र था, जो कंपनियों को कर मुक्त व्यापार करने की अनुमति देता था ।

बंगाल के बाद धीरे धीरे अंग्रेजी कंपनिया भारत के अन्य राज्य पर अपना कब्जा जमा रहे थे । कब्जा करने के बाद कंपनिया यहां के शासक के साथ सहायक संधि समझौता करती थी । और जो शासक सहायक संधि को नहीं मानता था, तो कंपनिया उसके राज्य को अपने कब्जा में कर लेती थी । और सहायक संधि वाले राज्य में एक अंग्रेजी अधिकारी रखने पड़ते थे, जिसे रेजिडेंट कहते है । और इन रेजिडेंट के मध्यम से कंपनी इन राज्यों पर नजर रखती थी ।

टीपू सुलतान

मैसूर राज्य ( कर्नाटक ) उस समय काफी ताकतवर था । वहां हैदर अली और उसका पुत्र टीपू सुल्तान ( 1782 – 1799 ) का शासक था । 1785 ईस्वी में टीपू सुल्तान ने उसके राज्य के बंदरगाह से चंदन की लकड़ी, काली मिर्च और इलायची के निर्यात पर रोक लगा दिया । इसके बाद कंपनी और टीपू सुल्तान की लड़ाई होने लगी । टीपू सुल्तान और कंपनी की आखरी लड़ाई 1799 ईस्वी में श्रीरंगपट्म में हुई, जिसमे टीपू सुलतान मारा गया । इसके बाद मैसूर कंपनी के हाथों में चला गया ।

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टीपू सुल्तान की कहानी

1782 ईस्वी में टीपू सुल्तान अपने फ्रांसीसी दोस्त के साथ जंगल में शिकार खेलने गया । तभी वहां एक शेर आ गया, और उसकी बंदूक भी मौके पर साथ छोड़ दिया । फिर भी टीपू सुलतान ने निहत्थे शेर का मुकाबला किया और उसे मार फिराया । तभी से टीपू सुलतान को शेर–ए–मैसूर कहा जाने लगा ।

अंग्रेज और मराठे

उस समय मराठे आपस में बंटे हुए थे, जिसका फायदा कंपनी ने उठाकर मराठे को पराजित करना शुरू कर दिया । और 1817– 1819 के युद्ध में मराठे पूरी तरह पराजित हो गए । और मराठे का क्षेत्र कंपनी के हाथ में चला गया ।

कंपनी और पंजाब

1799 से 1839 ईस्वी तक पंजाब, कश्मीर और आधुनिक हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र पंजाब के राजा रणजीत सिंह के हाथो में था ।

प्रश्न 3. विलय नीति क्या था?
उत्तर– विलय नीति एक बहाना था। इस नीति के अंतर्गत अगर किसी शासक की मृत्यु हो जाती थी और उसका अपना कोई पुत्र नहीं होता था, तो उसके राज्य को कंपनी अपने नियंत्रण में ले लेती थी।

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 8वीं के इतिहास के पाठ 02 भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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