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Bihar Board Class 9 History Solutions Chapter 3 France ki kranti (फ्रांस की क्रान्ति) Solution & Notes

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 9वीं इतिहास का पाठ ‘फ्रांस की क्रांति’ का नोट्स को देखने वाले है। France ki kranti 

Bihar Board Class 9 History Solutions Chapter 3 France ki kranti (फ्रांस की क्रान्ति) Solution & Notes

फ्रांस की क्रांति

फ्रांस

(i) फ्रांस यूरोप महादेश में स्थित है।
(ii) फ्रांस की राजधानी पेरिस है।
(iii) फ्रांस की मुद्रा यूरो है।
(iv) फ्रांस 14 जुलाई 1789 ईस्वी को आजाद हो गया। हर साल फ्रांस में 14 जुलाई को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

⪼ 1776 ईस्वी में अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस के शासक ने अमेरिका को सैनिक मदद दिया था। और जब अमेरिका स्वतंत्र हो गया तो फ्रांस के सैनिकों ने भी अपने निरंकुश शासक से स्वतंत्र होने का निश्चय किया।

➢ फ्रांस में राजतंत्रात्मक शासन (राजा का शासन) व्यवस्था थी। यहां पर बर्बों राजवंश था। और बर्बों राजवंश के राजाओं को अपने नाम के आगे लूई लगाना जरूरी था।

फ्रांस की क्रांति का मुख्य कारण

(i) राजनैतिक कारण
(ii) सामाजिक कारण
(iii) आर्थिक कारण
(iv) सैनिक कारण
(v) व्यक्तिगत एवं धार्मिक कारण
(vi) बौद्धिक कारण
(vii) विदेशी घटनाओं का प्रभाव

राजनैतिक कारण

👉 फ्रांस की क्रांति का राजनैतिक कारण निम्नलिखित थे- 

(i) फ्रांस में राजतंत्रात्मक शासन (राजा का शासन) व्यवस्था थी।
(ii) लूई xvi वाँ एक निरंकुशवादी, फिजूलखर्ची एवं अयोग्य शासक था।

(iii) लूई xvi वाँ की पत्नी मेरी अन्तोयनेत (ऑस्ट्रिया की राजकुमारी) उत्सवों पर काफी रुपया लुटाती थी, और अपने खास लोगों को ऊंचा पद दिलाने के लिए राज्य के काम में दखल देती थी।

(iv) अमेरिका को ब्रिटेन से आजाद कराने में फ्रांस पर 10 अरब लिब्रे का कर्ज बढ़ गया।

(v) राजा का महल वर्साय में स्थित था। और जिसमें 15000 ऐसे थे, जो कोई काम नहीं करते थे, और वेतन लेते थे।

(vi) 1614 ईस्वी के बाद संसद की बैठक 175 साल तक नहीं बुलाई गई।

⪼ लूई xiv वाँ का शासनकाल 1643 से 1715 तक रहा। इसका कथन था कि “मैं ही राज्य हूँ।

➣ लूई xv वाँ का शासनकाल 1715 से 1774 तक रहा। इसका कथन था कि “मैं ही भगवान हूं और मेरे मृत्यु के बाद प्रलय होगी।” इसी के समय में सप्तवर्षीय युद्ध हुआ था।

👉 लूई xvi वाँ 1774 ईस्वी में फ्रांस की गद्दी पर बैठा।

स्टेट्स जेनरल ⇒ स्टेट्स जेनरल फ्रांस की संसदीय संस्था थी। इसके तीनों स्टेट्‌स के प्रतिनिधि बैठ कर कानून बनाते थे।

पार्लमा

(i) पार्लमा निरंकुश राजाओं पर अंकुश लगाने वाली संस्था थी। इनकी कुल संख्या 17 थी।

(ii) इसके न्यायधीशों के पद कुलीन वर्ग के लिए सुरक्षित थे, और यह पद वंश क्रमानुसार थे।

(iii) जरूरत पड़ने पर राजा इन्हें पैसे के बल पर अपनी बात मनवा लेता था।

सामाजिक कारण

➣ 18वीं शताब्दी में फ्रांस का समाज तीन वर्गों में विभाजित था।

आर्थिक कारण

(i) लुई 15वाँ के शासन काल में सप्तवर्षीय युद्ध में खर्च।
(ii) अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के सहयोग में खर्च
(iii) राजाओं तथा उनकी पत्नियों द्वारा फिजूलखर्च
(iv) प्रथम एस्टेट और द्वितीय एस्टेट के लोगों पर किसी भी प्रकार का कर न लगना
(v) वर्षाय के राजमहल पर बेहिसाब खर्च
(vi) औद्योगिक क्रांति के कारण बेरोजगारी की समस्या थी।

⪼ प्रत्येक पाँच या छः साल के बाद फ्रांस की सरकार पूँजीपतियों को कर वसूलने का ठेका देती थी। और इन पूँजीपति को टैक्स फार्मर कहा जाता था। यह पूंजीपति अधिक से अधिक टैक्स वसूलते थे, और सरकार को निश्चित रकम देने के बाद बाकी रकम को अपने पास रख लेते थे।

➣ किसानों को भूमि कर देना पड़ता था, जिसे टैले कहा जाता था। और टीथे नामक धार्मिक कर चर्च को देना पड़ता था।

सैनिक कारण

(i) कम वेतन का मिलना।
(ii) कठोर अनुशासन में रखना।
(iii) खराब भोजन का मिलना।
(iv) सेना के निम्न (छोटा) पद पर नियुक्ति होना।

व्यक्तिगत एवं धार्मिक कारण

(i) भाषण, लेखन और विचार की स्वतंत्रता नहीं थी।
(ii) प्रोटेस्टेंट धर्म मानने वाले को कठोर सजा दिया जाता था।
(iii) बिना कारण किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता था।

👉 फ्रांस में बिना अभियोग के गिरफ्तारी वारंट को लेटर्स-द- कैचेट कहा जाता था।

बौद्धिक कारण

⪼ लेखकों ने अपने पुस्तकों के द्वारा फ्रांस के लोगों को जागरूक करने का कोशिश किया। इनमें प्रमुख मांटेस्क्यू, वाल्टेयर और रूसो थे।

➣ मांटेस्क्यू ने विधि की आत्मा नामक पुस्तक लिखा, जिसमें सरकार के तीन अंग कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बारे में बताया।

👉 वाल्टेयर ने चर्च, समाज और राजतंत्र के दोषों का पर्दाफाश किया।

➣ रूसो ने सामाजिक संविदा नामक पुस्तक लिखा, जिसमें राज्य को व्यक्ति द्वारा निर्मित संस्था बताया। और यह जनतंत्र (जनता की इच्छा) का समर्थन करते थे। दिदरो ने वृहत ज्ञानकोष नामक पुस्तक लिखा।

विदेशी घटनाओं का प्रभाव

⪼ अमेरिका में गणतांत्रिक शासन की स्थापना के बाद फ्रांस की जनता ने भी अपने निरंकुश राजा से स्वतंत्र होने का निश्चय किया।

क्रांति का घटना क्रम

👉 सन् 1789 ईस्वी में लूई 16वाँ को धनी की जरूरत पड़ी। जिसके लिए 5 मई 1789 ईस्वी को उसने स्टेट्स जेनरल की बैठक बुलाई। इसमें तीनों स्टेट्स के लोग भाग लिए थे, और तृतीय स्टेट्स के 600 प्रतिनिधि ने भाग लिया। इस सभा में तृतीय स्टेट्स के प्रतिनिधि ने मत देने का अधिकार मांगा, जिसे लूई 16वाँ द्वारा मना कर दिया गया।

➣ दुबारा 20 जून 1789 ईस्वी को बैठक बुलाई गई, लेकिन इसमें तृतीय स्टेट्स के प्रतिनिधि को स्टेट्स जेनरल के अंदर नहीं जाने दिया गया। जिसके बाद बगल के टेनिस मैदान में तृतीय स्टेट्स के लोग एकत्रित हुए। और अपनी सभा को नेशनल असेंबली घोषित किया। और “जब तक राजा की शक्ति को कम करने का कानून नहीं बन जाता तब तक यह सभा भंग नहीं होगी” का शपथ लिया।

➢ इसके बाद तृतीय स्टेट्स के प्रतिनिधियों को जेल में बंद कर दिया। तब 14 जुलाई 1789 ईस्वी में क्रांतिकारियों ने पेरिस में स्थित कारागृह बैस्टिल को घेर लिया। और बंदियों को मुक्त कराया। और फ्रांस में 14 जुलाई को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

⪼ 14 जुलाई 1789 ईस्वी के बाद लूई 16वाँ नाम मात्र का राजा बना रहा और नेशनल असेंबली देश के लिए कानून बनाने लगी। नेशनल असेंबली ने 27 अगस्त 1789 को ‘मानव और नागरिकों के अधिकार’ को स्वीकार किया।

फ्रांस के लोगों को आजादी

(i) इच्छा अनुसार धर्म अपनाने की आजादी।
(ii) व्यक्तिगत स्वतंत्रता
(iii) बिना कारण किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
(iv) बिना पैसा दिए किसी के जमीन पर कब्जा नहीं किया जाएगा।
(v) सभी वर्गों के लोग को समान रूप से कर देने की आजादी मिली।

👉 सन् 1791 ईस्वी में नेशनल एसेम्बली ने संविधान का प्रारूप तैयार कर लिया और इसमें शक्ति पृथक्करण के सिद्धान्त को अपनाया गया।

आतंक का राज्य

➣ आतंक राज्य होने के कारण
(i) रुपए वाले ही मताधिकार दे सकते है।
(ii) अप्रैल 1792 ईस्वी में नेशनल असेंबली ने ऑस्ट्रिया, प्रशा तथा सेवाय के विरुद्ध युद्ध शुरू कर दिया और इसमें फ्रांस हार भी गया।
(iii) इस युद्ध के कारण फ्रांस में भूखमरी और खाद्य पदार्थों की महंगाई की समस्या आ गई।

➢ आतंक राज्य का परिणाम
(i) रॉब्सपियर ने 14 महीने में 17000 लोगों पर मुकदमा चलाकर, उन्हें फांसी दिया।
(ii) 21 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को मतदान का अधिकार मिला, चाहे उनके पास रुपया हो या ना हो।
(iii) राजा की सत्ता को समाप्त कर दिया गया।
(iv) लूई 16वाँ को 21 जनवरी 1793 को फांसी दे दिया गया और इसके बाद मेरी अन्तोयनेत को भी फांसी पर चढ़ा दिया गया।
(v) 21 सितंबर 1792 ईस्वी को नेशनल असेंबली का नाम कन्वेंशन कर दिया गया।
(vi) राष्ट्र का नया कैलेंडर 22 सितंबर 1792 ईस्वी को लागू किया गया।
(vii) रॉब्सपियर की हिंसात्मक कारवाई की वजह से न्यायालय ने जुलाई 1794 को उसे मृत्युदंड दे दिया गया।
(viii) फ्रांस का नया संविधान 1795 को बना, और इसके बाद फ्रांस में गणतांत्रिक व्यवस्था लागू हुआ।

क्रांति के परिणाम

(i) पुरानी व्यवस्था का अंत हो गया।
(ii) फ्रांस एक धर्मनिरपेक्ष देश बन गया।
(iii) फ्रांस में जनतंत्र (जनता का शासन) की स्थापना हुई।
(iv) सन् 1794 ईस्वी में कन्वेंशन ने ‘दास मुक्ति कानून’ पारित कर, दास प्रथा का अंत किया।
(v) फ्रांस का राष्ट्रीय कैलेंडर जारी हुआ, इसको बाहर महीने में बांटा।
(vi) सन् 1946 ईस्वी में फ्रांस की महिलाओं को भी मतदान का अधिकार मिला।

अन्य देशों पर प्रभाव

(i) फ्रांस की क्रांति से प्रेरित होकर इटली के लोगों ने भी आंलोदन कर इटली का एकीकरण किया।
(ii) जर्मनी 300 छोटे-छोटे राज्यों में बांटा था, जिसको नेपोलियन ने 38 राज्य में सीमित किया, और जर्मनी का एकीकरण हुआ।
(iii) प्रथम विश्व युद्ध के बाद पोलैंड भी एक स्वतंत्र देश बना।
(iv) जनता के आवाज उठाने पर सन् 1832 ईस्वी में इंग्लैंड में ‘संसदीय सुधार अधिनियम’ पारित हुआ, जिसके बाद जमींदार की शक्ति खत्म कर दी गई।

👉 इतिहासकारों ने सन् 1789 की फ्रांसीसी क्रांति को एक बुर्जुआई (मध्यम वर्गीय) क्रांति कहा है।

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 9वीं के इतिहास के पाठ 03 फ्रांस की क्रांति (France ki kranti) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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