क्या हुआ जब कैलाश पर्वत पर चढ़ गया एक लड़का।
आखिर क्या हुआ जब कैलाश पर्वत पर चढ़ गया एक लड़का। जी हां दोस्तों, इस लड़के के पास इस चीज के सबूत भी है, कि उसने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई की। इस लड़के ने कैलाश पर्वत पर चढ़ते हुए एक video भी बनाया है, जिसे देखकर सभी लोग हैरान हो गए।
क्योंकि कैलाश पर्वत पर आज तक कोई भी इंसान तो क्या, विमान भी नहीं पहुंच सका। जबकि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी mount everest पर हज़ारों लोग चढ़ चुके हैं। और कैलाश की चोटी पर चढ़ने वाला आज तक इस दुनिया में कोई नहीं।
लोगों का मानना है कि जो भी लोग कैलाश पर्वत पर चढ़े हैं, वो वापस लौट कर नहीं आए। और इसके अलावा यह भी माना जाता है कि यहां पर साक्षात भगवान शिव रहते हैं। जो किसी को भी इस पर्वत के ऊपर चढ़ने नहीं देते। जो भी लोग इस पर्वत पर चढ़ने का प्रयास करते हैं।
उनका मानना है कि यहां पर समय बहुत तेजी से चलता है। जिसके कारण उनकी उम्र तेजी से बढ़ती है। तो दोस्तों अगर आप भी महादेव के सच्चे भक्त है तो comment में हर हर महादेव अवश्य लिखें
आखिर माता पार्वती ने क्यों काटा अपना ही सिर?
दोस्तों एक बार माता पार्वती अपनी दो सखियों, जया और विजया के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान कर रही थी। स्नान के बाद दोनों को बहुत तेज भूख का आभास होने लगा। सखियों ने भोजन के लिए माँ भगवानी से कुछ मांगा।
तब माँ ने उन्हें थोड़ी देर प्रतीक्षा करने को कहा, लेकिन जया और विजया की भूख धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी। और भूख के पीड़ा से उनका शरीर काला पड़ने लगा। तब सखियों ने माता से कहा कि मां तो अपने शिशु की रक्षा के लिए अपना रक्त भी पिला देती है।
तो आप तो संसार की पालक को, सबकी भूख शांत करती हो। क्या हमारी भूख नहीं मिटेगी? इतना सुनते ही माता पार्वती ने बिना एक क्षण गवाई, खड़क से अपना ही सिर काट दिया। कटा हुआ सिर उनके बाएं हाथ में गिरा, और तीन रक्त की धाराएं बहने लगीं।
जिसकी दो धाराओं का रक्त उनकी सखिया पीने लगी, तथा तीसरी धारा के रक्त को वह स्वयं पीने लगी। और इस तरह माता ने अपने रक्त से अपनी सखियों की भूख शांत की। और तभी माता के इस रूप को छिन्न मस्तीका के नाम से जाना जाने लगा। दोस्तों एक बार comment में जय माँ छिन्न मस्ती का अवश्य लिखें । God Amazing fact in Hindi
भगवान विष्णु ने माता सती को बावन टुकड़ों में क्यों काटा?
दोस्तों यह बात तब की है जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के यहां, हवनकुंड में कूदकर अपने प्राण दे दिए थे। यह खबर सुन भगवान शिव ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से तक्ष प्रजापति का सिर धड़ से अलग कर दिया। उनके क्रोध से पूरी धरती कांपने लगी थी।
फिर शिव जी ने माता सीता को हवन कुंड से निकालकर अपने कंधे पर रखकर विलाप करने लगे। पूरे संसार में हाहाकार मच गया। शिव जी के विलाप से समस्त पृथ्वी जलने लगी। किसी भी देवताओं में इतना साहस नहीं था कि वो शिव जी के सामने जा सके। इसका समाधान केवल भगवान विष्णु ही कर पाते।
भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के भस्म शरीर को धीरे धीरे टुकड़ों में काटना शुरू किया। इस तरह उनके शरीर के बावन टुकड़े हुए, जहां जहां उनके शरीर के टुकड़े गए वहां देवी का शक्ति पीठ वन गया। अंत में शिव जी के पास एक भी टुकड़ा नहीं बचा। और दोस्तों क्या आपको पता है कि मां पार्वती मां सती का ही रूप है ।
आखिर क्या हुआ जब महादेव ने तीन वर्षों तक डमरू बजाना बंद कर दिया।
एक समय की बात है इंद्र देव किसी कारणवश पृथ्वी वासियों से नाराज़ हो गए। और उन्होंने बारह वर्षों तक बारिश नहीं करने का निश्चय लिया। उनसे पुछा गया कि क्या सचमुच बारह वर्षों तक बरसात नहीं होगी। तब इंद्र भगवान ने कहा हां यदि शिव जी डमरू बजा देते है। तो वर्षा हो सकती है।
इस वजह से इंद्र ने भगवान शिव जी से निवेदन किया प्रभु आप बारह वर्षों तक डमरू न बजाए। तभी से शिव जी ने डमरू बजाना बंद कर दिया। तीन वर्ष बीत गए, एक भी बूंद पानी नहीं गिरा। एक दिन भगवान शिव और माता पार्वती कहीं जा रहे थे। उन्होंने देखा कि एक किसान हल और बैल लिए खेत जोत रहा है। वे आश्चर्य में पड़ गए।
वहां पर अपना भेष बदल कर गए। और किसान से पुछा कि जब आपको पता है कि आने वाले नौ वर्षों तक भी बरसात नहीं होगा। तो आप खेत की जुताई क्यों कर रहे हो? किसान ने कहा कि यदि मैंने हल चलाना छोड़ दिया तो बारह वर्ष के बाद न तो मुझे और न ही मेरे बैलों को हल चलाने का अभ्यास रहेगा। हल चलाने का अभ्यास बना रहे इस वजह से हल चला रहा हूं।
यह बात सुनकर माता पार्वती ने भगवान शिव जी से कहा कि स्वामी तीन साल हो गए। आपने भी डमरू नहीं बजाया और अभी नौ साल और नहीं बजाना है। कहीं आप भी डमरू बजाने का अभ्यास ना भूल जाएं। तभी भगवान शिव ने सोचा कि डमरू बजाकर देख लेना चाहिए। और उन्होंने जैसे ही डमरू बजाया, पानी झर झर बरसने लगा। God Amazing fact in Hindi
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आखिर एक भूत ने तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम का दर्शन कैसे करवाया?
एक बार तुलसीदास जी पूजा पाठ करके बचा हुआ जल अपने कमंडल में लेकर घर से बाहर निकले। जल को उन्होंने एक पीपल के पेड़ में डाल दिया। जिस पर एक प्रेत रहता था। इस जल से उस प्रेत की प्यास बुझ गई। और उसने तुलसीदास जी के सामने प्रकट होकर कहा कि आप मुझसे कुछ भी मांग ले। मैं उसे पूरा ज़रूर करूंगा।
तुलसीदास जी ने कहा कि प्रभु श्री राम के दर्शन के अलावा मेरी कोई भी इच्छा नहीं है। तभी प्रेत ने कहा कि मैं ऐसा तो नहीं कर सकता लेकिन मैं भगवान से मिलाने वाले हनुमान जी का पता बता सकता हूं। उसने कहा कि जहां भी राम कथा होती है, वहां हनुमान जी किसी ना किसी रूप में आकर बैठ जाते हैं। प्रेत ने यह भी कहा कि काशी के गंगा घाट किनारे होने वाली राम कथा में जो भी श्रोता सबसे पहले आ जाएं और सबसे अंत में जाएं।
समझ लेना कि वही हनुमान जी हैं। और ठीक ऐसा ही हुआ। अंत में वृद्ध रूप में राम कथा सुन रहे हैं हनुमान जी को तुलसीदास जी ने पहचान लिया। उनके पैर पकड़ लिया और श्री राम के दर्शन कराने का वचन मांग लिया। फिर एक दिन मंदाकनी के तट पर तुलसीदास जी चंदन घिस रहे थे।
तभी प्रभु श्री राम बालक रूप में आकर उनसे चंदन मांग मांग कर लगा रहे थे। तब हनुमान जी ने तोता बनकर यह दोहा पढ़ा। चित्रकूट के घाट पर, भय सत करीब, तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देव रघुवी तो दोस्तों हमारे comment में जय बजरंगबली और जय श्री राम