आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7वीं इतिहास का पाठ ‘क्षेत्रीय संस्कृतियों का उत्कर्ष’ का नोट्स को देखने वाले है। Kshetriya Sanskritiyon ka Utkarsh
क्षेत्रीय संस्कृतियों का उत्कर्ष |
👉 कोस कोस पर पानी बदले और सात कोस पर वाणी।
(i) भाषा की उत्पति आठवी से दसवी शताब्दी के बीच हुआ था। विजयनगर साम्राज्य में तेलुगु साहित्य का विकास हुआ।
(ii) उर्दू एक मिश्रित भाषा है, जिसमें अरबी, फारसी एवं तुर्की भाषा को शामिल किया गया है। उर्दू को फारसी लिपि में लिखा जाता है।
प्रश्न 1. अपभ्रंश किसे कहते है?
उत्तर– आम आदमी विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न भाषाएं बोलते है, जिन्हें सामूहिक रूप से अपभ्रंश कहते है।
(iii) उर्दू की उत्पति ग्यारहवीं शताब्दी में हुआ था। उर्दू का शाब्दिक अर्थ शिविर या खेमा होता है। अमीर खुसरों ने उर्दू भाषा को रेख्ता एवं हिन्दवी नाम दिया।
(iv) दक्षिण भारत में उर्दू को दक्कनी के नाम से जाना जाने लगा। लोग उर्दू भाषा को ‘हिन्दुस्तानी‘ के नाम से पुकारते थे। मुगल काल में उर्दू मुगलों की मातृभाषा बन गयी और घर, दरबार तथा शिविरों में बोली जाने लगी।
हिंदी भाषा की उत्पति
👉 ईरानी सिंधु को हिन्दू कहते थे। हिंदु से हिंद बन गया। और तभी से हिंद की भाषा ‘हिन्दी‘ कही जाने लगी। अकबर के समय हिंदी का विकास तेजी से हुआ।
लौकिक साहित्य
👉 लौकिक साहित्य में ‘ढोला-मारूहा‘ नामक प्रसिद्ध काव्य लिखा गया। इसमें ढोला नामक राजकुमार और मारवाणी नाम की राजकुमारी की प्रणय कथा का वर्णन है। इस कविता में स्त्री के कोमल भावों का बहुत ही मार्मिक वर्णन है।
>> जिया नक्शवी ने ‘तुतीनामा‘ नामक पुस्तक की रचना की जिसमें तोता एक विरहनी महिला की कहानी सुनाता है। जिसका पति यात्रा पर गया था। यह कहानी मूल रूप से संस्कृत में था, जिसका जिया नक्शवी ने फारसी में अनुवाद किया था।
👉 अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुरहीम खान-ए-खाना थे, जो रहीम के उपनाम से प्रसिद्ध थे। इन्होंने हिन्दी में बहुत से दोहों की रचनाएँ कीं।
>> अकबर के समय में तुलसीदास ने ‘रामचरित मानस’ की रचना अवधी भाषा में की, जिसके नायक राम थे।
मैथिली भाषा
👉 महाराष्ट्र में एकनाथ एवं तुकाराम ने मराठी भाषा को काफी विकसित किया। बिहार की भाषाओं में मैथिली भाषा सबसे विकसित है। यह दरभंगा में बोली जाती है। इसे मैथिली लिपि में लिखा जाता है।
>> विद्यापति एक प्रसिद्ध मैथिली कवि थे, इन्होंने मैथिली साहित्य को बहुत ऊंचाई तक पहुंचाने का काम किया। भोजपुरी भाषा की उत्पति लगभग आठवीं शताब्दी में हुई थी।
चित्रकला
(i) तुर्की शासक अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में भित्ती चित्रों, पांडुलिपी चित्रों और कपड़े पर बने चित्रों के प्रमाण भी मिले हैं।
(ii) सल्तनत काल के चित्रों में आम जीवन के दृश्यों, शिकार के दृश्यों तथा लोक कथानकों के चित्र शामिल हैं।
(iii) मुगलों के समय की चित्र बनाने की शैली को मुगल चित्रकला के नाम से जाना जाता है।
(iv) ‘दास्ताने अमीर हम्जा’ या हम्जानामा‘ एक चित्रों का समूह है, जिसमें 1200 चित्र है। और सारे चित्र चटकीले रंगों में कपड़े पर बने हुए हैं।
(v) अकबर के समय चित्रों में गहरे नीले और लाल रंग का प्रयोग अधिक किया जाने लगा। अकबर के दरबार में जसवंत और दसावन नामक दो प्रसिद्ध चित्रकार थे।
(vi) पुर्तगाली के आगमन के बाद किसी विशेष व्यक्ति का चित्र बनाए जाने लगा। और औरंगजेब के समय से चित्रकला का पतन होने लगा।
पहाड़ी चित्रकारी
(i) पहाड़ी क्षेत्रों में की जाने वाले चित्रकारी को पहाड़ी चित्रकारी कहते है।
(ii) पहाड़ी चित्रकारी में पौराणिक कथा, लड़कियों को गेंद खेलते हुए, पशु-पक्षी के साथ मनोरंजन करते हुए और राजा आदि का चित्र बनाया जाता था।
(iii) पहाडी चित्रकला में लाल, नीले और नारंगी रंग से लेकर हल्के पेंसिल रंगों का उपयोग किया जाता है। वस्त्रों, बर्तनों, सिंहासनों, कुर्सियों और कालीनों आदि के लिए सोने और चाँदी के रंगों का प्रयोग किया गया।
पटना कलम
(i) मुगल साम्राज्य के खत्म होने के बाद कुछ चित्रकार पटना आए गए। और यहां पर एक चित्रकला की शैली का विकास हुआ, जिसे पटना कलम या पटना शैली कहा गया।
(ii) पटना शैली में अधिकांश चित्रकार पुरुष थे, इसलिए इसे पुरुषों की चित्रकला शैली कहा जाता है।
(iii) इस शैली में विशेष व्यक्ति, पर्व त्योहार और जीव जंतुओं का चित्र कागज पर बनाए जाते थे।
संगीत
(i) सूफी संत गजल के द्वारा खुदा की इबादत करते थे। और यह खानकाहों में गज़लों को गाते थे।
(ii) सल्तनत काल में दो प्रकार की गायन शैली प्रचलित थी- गजल और कव्वाली।
(iii) ग़जल का शाब्दिक अर्थ है अपने प्रेम पात्र से वार्तालाप। एक गजल में कम से कम पाँच से ग्यारह शेर (शायरी) होते थे। और गजल के समूह को दीवान कहा जाता है।
(iv) कव्वाली एक गायन की शैली (तरीका) है। और जो इसे गाते है, उसे कव्वाल कहते है। कव्वाली गाते हुए गायक भक्तिमय हो जाता था। और गाते-गाते वे झूमने और नाचने लगते है।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 7वीं के इतिहास के पाठ 08 क्षेत्रीय संस्कृतियों का उत्कर्ष (Kshetriya Sanskritiyon ka Utkarsh) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !