आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 8वीं भूगोल का पाठ ‘लौह-इस्पात उद्योग’ का नोट्स को देखने वाले है। Lauh Ispat Udyog
लौह-इस्पात उद्योग |
👉 अधिकांश वस्तुएँ जिनका उपयोग हम दैनिक जीवन (वस्तुओं, औजारों व मशीनों के रूप में) में करते हैं, वे सभी लोहा और इस्पात (स्टील) से बनी होती हैं। जैसे– रेलगाड़ी, बस, पुल, साइकिल इत्यादि।
प्रश्न 1. लौह-इस्पात उद्योग केन्द्र किसे कहते है?
उत्तर– जिस स्थान पर लोहा और स्टील से वस्तुओं का निर्माण किया जाता है, उस स्थान को लौह-इस्पात उद्योग केन्द्र कहते है।
👉 भारत में प्रमुख लौह-इस्पात केन्द्र झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु में है।
प्रश्न 2. आधारभूत या पोषक उद्योग किसे कहते है?
उत्तर– वैसा उद्योग जिसपर कोई दूसरा उद्योग निर्भर होता है, उसे आधारभूत उद्योग कहते है। जैसे– लौह-इस्पात उद्योग
👉 लौह-इस्पात उद्योग को लगाने के लिए कच्चे माल के रूप में लौह अयस्क, डोलोमाईट, चूना पत्थर, मैंगनीज और जल चाहिए होता है। और जहां यह पांच चीज आसान से और कम दाम में मिल जाती है। वहीं लौह-इस्पात उद्योग लगाया जाता है।
इस्पात निर्माण प्रक्रिया
(i) कच्चेमाल की आपूर्ति
(ii) झोंकदार भट्टी में लौह अयस्क को गलाना
(iii) तरल पदार्थ को साँचे में ढालकर ढलवाँ लोहा बनाना
(iv) ढलवाँ लोहे को पुनः गलाकर अशुद्धता हटाना तथा मिश्रधातु बनाना
(v) धातु को मनचाहा आकार देना
जमशेदपुर लौह-इस्पात उद्योग
भारत में इस्पात बनाने का पहला कारखाना 1907 ई० में साकची नामक स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा लगाया गया था। यह स्थान वर्तमान में झारखंड में स्थित है। यह स्वर्णरेखा और खरकई नदी के बगल में स्थित है।
👉 टिस्को (टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी) के द्वारा सलाखें, पहिए, पटरियां आदि बनता है। और तैयार माल को जमशेदपर से कोलकाता रेल मार्ग द्वारा भेज दिया जाता है। और कोलकाता से अन्य देशों में भेजा जाता है। इस फैक्ट्री में झारखंड के स्थानीय आदिवासी और बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा आदि जगह के लोग काम करते है।
बोकारो लौह-इस्पात उद्योग
बोकारो लौह-इस्पात उद्योग को बोकारो स्टील लिमिटेड (BSL) के नाम से भी जाना जाता है। चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के तहत 1964 में रूस (सोवियत संघ) के सहयोग से बोकारो लौह-इस्पात उद्योग की स्थापना की गई थी ।
प्रश्न 3. सेल (SAIL) क्या है?
उतर– स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (सेल) भारत की एक प्रमुख इस्पात निर्माण कंपनी है। इसमें बोकारो, भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला, सेलम आदि लौह-इस्पात कंपनी को शामिल किया गया है।
👉 लौह-इस्पात उद्योग को किसी भी देश के उद्योगों की रीढ़ माना जाता है। क्योंकि दुनिया की अधिकांश वस्तुओं के निर्माण में लौह-इस्पात का उपयोग किया जाता है।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 8वीं के हमारी दुनिया के पाठ 3 (क) लौह-इस्पात उद्योग (Lauh Ispat Udyog) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !