आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7वीं विज्ञान का पाठ ‘पौधों में जनन’ का नोट्स को देखने वाले है। Paudho me janan
पौधों में जनन |
प्रश्न 1. जनन किसे कहते है?
उत्तर– वह प्रक्रिया जिसके द्वारा सजीव अपने जैसे संतान की उत्पति करते है, उसे जनन कहते है। जंतुओं और पौधे में निरंतरता बनाए रखने के लिए जनन आवश्यक है।
प्रश्न 2. कायिक अंग किसे कहते है?
उत्तर– पौधों के जड़, तना और पत्तियों को कायिक अंग कहते हैं।
👉 पौधों में निश्चित वृद्धि के बाद फूल निकलते हैं। और इन्हीं फूलों से फल और बीज प्राप्त होते हैं। इन बीजों से नए पौधे उगाए जाते हैं। पौधे अपने कायिक अंगों जैसे जड़, तना, पत्ती से भी नए पौधे उत्पन्न करते हैं।
जनन दो प्रकार के होते है
(i) अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)
(ii) लैंगिक जनन (sexual Reproduction)
(i) अलैंगिक जनन किसे कहते है?
उत्तर– जनन की ऐसी विधि जिसमें पौधे बिना बीजों के ही नए पौधे उत्पन्न करते हैं, उसे अलैंगिक जनन कहते है।
👉 अलैंगिक जनन में नए पौधे उत्पन्न करने के कायिक अंगों का उपयोग किया जाता है। जैसे– गुलाब, मूनगा (सजहन), नींबू, अमरूद, गन्ना, आलू, ब्रायोफाइलम
अलैंगिक जनन की विधि
(i) कायिक प्रवर्धन
(ii) मुकूलन
(iii) खण्डन
(iv) बीजाणु प्रवर्धन
(i) कायिक प्रवर्धन किसे कहते है?
उत्तर– कायिक भागों द्वारा जब नए पौधों का निर्माण होता है, तो इस विधि को कायिक प्रवर्धन कहते हैं।
(ii) मुकुलन किसे कहते है?
उत्तर– यीस्ट में मुकुल के द्वारा नए जीव का निर्माण होता है, और इस विधि को मुकुलन कहते है।
यीस्ट में जनन
👉 यीस्ट के शरीर में एक या एक से अधिक उभार दिखाई देता है, जिसे मुकुल कहते है। यह मुकुल आगे चलकर एक संतान का रूप धारण कर लेता है। और यीस्ट के शरीर से अलग हो जाता है।
(iii) खंडन = तालाबों और नदियों के किनारे हरे रंग की एक संरचना होती है, जिसे शैवाल (एल्गी) कहते है। और शैवाल में जनन खंडन विधि द्वारा होता है।
(iv) बीजाणु जनन = ऐसा अलैगिक जनन जिसमें पौधे में अनेक बीजाणु उत्पन्न होते हैं, जो उचित परिस्थिति पर जनक के शरीर से अलग होकर नए पौधे का निर्माण करते हैं। और यह विधि कवक में होता है। ब्रेड पर व्हाइट या नीला रंग की संरचना कवक होता है।
(ii) लैंगिक जनन किसे कहते है?
उत्तर– जनन की ऐसी विधि जिसमें पौधे बीजों के द्वारा नए पौधे उत्पन्न करते हैं, उसे लैंगिक जनन कहते है। पौधे का जनन अंग फूल होता है।
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👉 फूल में मुख्य चार अंग (भाग) होते है।
(i) पुंकेसर
(ii) स्त्रीकेसर
(iii) पंखुडी (दल)
(iv) अंखुडी (बाह्य दल)
(i) पुंकेसर किसे कहते है?
उत्तर– फूल के नर जनन अंग को पुंकेसर कहते हैं।
(ii) स्त्रीकेसर किसे कहते है?
उत्तर– फूल के मादा जनन अंग को स्त्रीकेसर कहते हैं।
(iii) पुष्पासन किसे कहते है?
उत्तर– फूल के डंठल के जिस सिरे पर फूले के सभी अंग जुड़े रहते है, उसे पुष्पासन (फूल का आसन) कहते है।
(iv) एकलिंगी फूल किसे कहते है?
उत्तर– जिन फूलों में पुंकेसर या स्त्रीकेसर दोनों में से केवल एक पाए जाते है, उसे एकलिंगी फूल कहते हैं।
(v) द्विलिंगी फूल किसे कहते है?
उत्तर– जिन फूलों में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों पाए जाते हैं, उसे द्विलिंगी फूल कहते हैं।
👉 पुंकेसर के ऊपर परागकोष होते हैं, और इनमें परागकण रहते हैं। परागकण, नर युग्मक बनते हैं। और स्त्रीकेसर के अण्डाशय में एक या एक से अधिक बीजाण्ड होते हैं, जो मादा युग्मक बनाते हैं।
प्रश्न 3. युग्मक किसे कहते है?
उत्तर– किसी जानवर या पौधे में पाए जाने वाली प्रजनन कोशिका को युग्मक कहते है। युग्मक से ही नए जीवों का जन्म होता है।
प्रश्न 4. युग्मनज किसे कहते है?
उत्तर– लैंगिक जनन प्रक्रिया में नर युग्मक, मादा युग्मक से बीजाण्ड में मिलते हैं। और इसके फलस्वरूप जिस संरचना का निर्माण होता है, उसे युग्मनज कहते है।
प्रश्न 5. निषेचन किसे कहते है?
उत्तर– नर युग्मक और मादा युग्मक के मिलने की प्रक्रिया को निषेचन कहते है। निषेचन के फलस्वरूप युग्मनक भ्रूण में विकसित होने लगता है। भ्रूण विकसित होकर बीज बनते हैं।
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👉 परागकण, वर्तिकाग्र पर वायु, कीट, जल, आदि के माध्यम से पहुंचता होता है। परागकण हल्के होते हैं जब हवा बहती है तो उड़कर वर्तिकाग्र तक पहुंच जाते हैं। परागकण कीटों के शरीर के भागों जैसे पैरों, पंखों पर चिपक जाते हैं और वे जब वर्तिकाग्र पर पहुंच जाते हैं तो परागकण वर्तिकाग्र के चिपचिपा होने के कारण उससे चिपक जाते हैं।
प्रश्न 6. परागण किसे कहते है?
उत्तर– परागकण का वर्तिकाग्र तक आने की प्रक्रिया को परागण कहते है।
प्रश्न 7. स्वयं परागण किसे कहते है?
उत्तर– जब परागकण अपने ही फूल के वर्तिकाग्र तक पहुंचता है, तो इसे स्वयं परागण कहते हैं।
प्रश्न 8. पर परागण किसे कहते है?
उत्तर– जब परागकण दूसरे पौधे के फूलों के वर्तिकाग्र तक पहुंचता है, तो इसे पर परागण कहते हैं।
प्रश्न 9. बीजों का प्रकीर्णन किसे कहते है?
उत्तर– बीजों का एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने की प्रक्रिया को बीजों का प्रकीर्णन कहते है। और यह जल, वायु तथा जन्तुओं द्वारा होता है।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 7वीं के विज्ञान के पाठ 17 पौधों में जनन (Paudho me janan) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !