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Bihar Board Class 7th Science chapter 11 Reso se vastra tak Notes & Solution || रेशो से वस्‍त्र तक

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7वीं विज्ञान का पाठ ‘रेशों से वस्त्र तक’ का नोट्स को देखने वाले है। Reso se vastra tak

Bihar Board Class 7th Science chapter 11 Reso se vastra tak Notes & Solution || रेशो से वस्‍त्र तक

रेशों से वस्त्र तक

👉 ऊन, रेशों का बना होता है। और रेशे पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले भेड़, बकरी, ऊंट, याक, लामा, ऐल्पेका जैसे जानवरों के बाल से बनाए जाते है।

☞ पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले जानवरों के शरीर पर बाल की मोटी परत होती है, जो उन्हें गर्म रखती है। और बाहर की ठंड को शरीर में जाने से रोकती है।

➢ भारत में बकरियों की अनेक नस्लें (प्रजाति) पाई जाती है, जिनमें अंगोरा नस्ल की बकरियों से अंगोरा ऊन प्राप्त की जाती है। और यह बकरी जम्मू-कश्मीर में पाई जाती है। इन्हीं बकरियों से पश्मीना शॉल बनता है।

👉 याक से बने ऊन तिब्बत और लद्दाख में प्रचलित है।

प्रश्न 1. जांतव रेशा किसे कहते है?
उत्तर– वैसा रेशा जो जंतुओ से प्राप्त किए जाते है, उसे जांतव रेशा कहते है।

☞ रेशम का रेशा, कोकून नामक कीट(कीड़ा) से प्राप्त किए जाते है।

➣ पहाड़ी जानवरों का पालन-पोषण किया जाता है। इन जानवरों को मक्का, ज्वार, दाल, खल्ली आदि खिलाया जाता है। उसके बाद गर्मी के समय में इन जानवरों के बाल को काट लिया जाता है।

भेड़ के बाल से ऊन बनाने की प्रक्रिया

(i) बालों की कटाई – भेड़ के शरीर पर दो प्रकार के बाल होते हैं-
(a) दाढ़ी के पास रूखे बाल
(b) त्वचा के निकट के मुलायम बाल
इनके शरीर पर के बाल गर्मियों के दिनों में काट लिया जाता है। बालों को काटने की प्रक्रिया को कटाई कहते है।

(ii) सफाई और धुलाई – बालों को काटने के बाद टंकियों में डालकर अच्छी तरह से धोया जाता है, ताकि उनसे धूल और गंदगी निकल जाए। आजकल यह काम मशीनों द्वारा किया जाता है। इसके बाद इन्हें रोलर और ड्रॉयर में सुखाया जाता है।

प्रश्न 2. अभिमार्जन किसे कहते है?
उत्तर– भेड़ के बालों से धुल और गंदगी निकालने की प्रक्रिया को अभिमार्जन कहते है।

(iii) छंटाई – इसके बाद कारखानों में सूखे बालों में से गांठ को अलग किया जाता है। यही गांठ कभी-कभी हमारे स्वीटर पर देखने को मिलते है।

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(iv) बालों को सुखाना – छंटाई के बाद रेशों को पुनः धोकर सुखाया जाता है।

(v) रंगाई – भेड़ तथा बकरी की ऊन सामान्यतः काली, भूरी तथा सफेद रंग की होती हैं। लेकिन रंगाई के द्वारा मनचाहे रंग का ऊन प्राप्त कर सकते है।

(vi) रेशों को सीधा करके सुलझाना – रंगाई के बाद रेशों को सीधा करके सुलझाया जाता है और फिर लपेटकर उनसे धागा बनाया जाता है।

(vii) बुनाई – इसके बाद हाथों या मशीनों से ऊनी वस्त्र तैयार किया जाता है।

एंथ्रेक्स नामक बीमारी पशुओं में होता है। जैसे– भेड़, बकरी, ऊंट आदि। और ऊन उद्योग में काम करने वाले एंथ्रेक्स नामक बीमारी से संक्रमित हो जाते है।

प्रश्न 3. व्यापारिक संकट किसे कहते है?
उत्तर– किसी उद्योग में उत्पन्न जोखिम को झेलने को व्यापारिक संकट कहते है।

रेशम के खोज की कहानी

चीनी किंवदंती के अनुसार एक बार चीनी सम्राट ने साम्राज्ञी से अपने बगीचे में उगने वाले शहतूत के वृक्षों की पत्तियों के क्षतिग्रस्त होने का कारण पता लगाने के लिए कहा। साम्राज्ञी ने बताया कि सफेद कृमि, शहतूत की पत्तियों को खा रहे है। और अपने अगल बगल चमकदार कोकून बुन रहे है। एक बार एक कोकून चीनी सम्राट के चाय के प्याले में गिर गया और उसमें से नाजुक धागों का गुच्छा अलग हुआ। इस प्रकार रेशम का खोज हुआ।

प्रश्न 4. सिल्क रूट किसे कहते है?
उत्तर– जिस मार्ग (रास्ता) से रेशम को अन्य देशों में भेजा गया, उसे सिल्क रूट कहते है।

प्रश्न 5. रेशम कीट पालन (सेरीकल्चर) किसे कहते है?
उत्तर– रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम के कीटों को पालन पोषण किया जाता है, जिसे रेशम कीट पालन (सेरीकल्चर) कहते है। रेशम भी एक प्रकार का जांतव रेशा है।

रेशम कीट का जीवनचक्र

☞ रेशम कीट (कीड़ा) के जीवन की चार अवस्थाएँ होती हैं। सबसे पहले मादा रेशम कीट अंडे देती है, और जिनसे लार्वा निकलता है। लार्वा शहतूत की पत्ती को खाते रहते हैं और बड़े हो जाते हैं। लार्वा पतले तार के रूप में प्रोटीन से बना एक पदार्थ निकालता है, जो कठोर होकर रेशा बन जाता है।

लार्वा इन रेशों से स्वयं को पूरी तरह से ढक लेता है और अंदर ही अंदर परिवर्तित होते रहता है। यही आवरण कोकून कहलाता है। कीट का आगे का विकास कोकून के भीतर होता है। और पूरा विकसित होने के बाद कोकून तोड़कर कीट बाहर आता है।

प्रश्न 6. कोकून किसे कहते है?
उत्तर– रेशमी कीटों के द्वारा लार्वा के चारों ओर बनाई गई रेशमी जाल को कोकून कहते है। जिसमें कीट लार्वा, प्यूपा चरण में विकसित होते हैं।

प्रश्न 7. प्यूपा किसे कहते है?
उत्तर– जब कोई कीट लार्वा और वयस्क की अवस्था के बीच होता है, तो उसे प्यूपा कहते है।

रेशम कीट पालन

मादा कीट एक बार में सैकड़ों अंडे देती है। और अंडों को इकट्ठा कर इसे रेशम कीट पालने वाले व्यापारियों को बेच दिया जाता है। और यह व्यापारी शहतूत की पत्तियों पर इसको पालते है। और जब यह कीट कोकून देता है। तो इस कोकून को गर्म कर या सूखा कर इनसे रेशा प्राप्त किया जाता है। उसके बाद इन रेशों से वस्त्र बनाया जाता है।

☞ कई अलग-अलग कीटों से रेशम बनाया जाता हैं। तसर रेशम कीट से भी कोकून प्राप्त की जाती है। यह रेशम भी अन्य रेशम जैसी ही पतली होती है, पर इसके धागें में चमक थोड़ी कम होती है।

प्रश्न 7. रेशम की रीलिंग किसे कहते है?
उत्तर– रेशे निकालने से लेकर उनसे धागे बनाने की प्रक्रिया को रेशम की रीलिंग कहते है। रीलिंग मशीनों द्वारा की जाती है।

➣ रेशम कीट पालन से लेकर वस्त्र निर्माण तक अधिकांश काम महिलाओं द्वारा किए जाते हैं। और इस उद्योग में भी दमा, श्वसन रोग, चर्म रोग, सरदर्द आदि जैसे व्यावसायिक संकट है।

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 7वीं के विज्ञान के पाठ 11 रेशों से वस्त्र तक (Reso se vastra tak) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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