आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 6वीं विज्ञान का पाठ ‘सजीवों में अनुकूलन’ का नोट्स को देखने वाले है। Sajivo Me Anukulan
सजीवों में अनुकूलन |
प्रश्न 1. अनुकूलन किसे कहते है?
उत्तर– पृथ्वी पर पाए जाने वाले सजीवों में अपने परिवेश में रहने के लिए कुछ उनमें विशिष्ट संरचना होती है, उसे अनुकूलन कहते है।
ऊंट
(i) ऊंट को मरुस्थल का जहाज कहा जाता है।
(ii) ऊंट के पलके के लम्बे बाल और घनी भौहे उन्हें रेत और मिट्टी से बचाता है।
(iii) ऊंट के छोटे-छोटे कानों में रेत आसानी से नहीं जा सकता है, क्योंकि ऊँट अपनी कानों को अपनी मर्जी से खोल और बंद कर सकता है।
(iv) ऊंट के कूबड़ में भोजन चर्बी के रूप में जमा होता है। इसका उपयोग बुरे वक्त में ऊंट करता है।
(v) यह अपनी कूबड़ में पानी भी जमा करके रखता है।
(vi) ऊंट के पैर लम्बे होते है, जो इसको गर्मी से बचाता है।
(vii) ऊँट को पसीना नहीं आता है।
(viii) यह कम पेशाब करता है।
मछली
(i) मछलियों का शरीर धारारेखीय होता है। और इसे नौकाकार भी कहते है।
(ii) इनका शरीर चिकने और शल्कों से ढंका रहता है। शल्क इनके शरीर को सुरक्षा, आकृति और जल में गति आदि प्रदान करता है।
(iii) मछली के पूँछ चपटी होती है, जो जल के अंदर दिशा परिवर्तन (बदलने) में मदद करता है।
प्रश्न 2. वासस्थान किसे कहते है?
उत्तर– सजीव जिस परिवेश में रहता है, और जहाँ से उसे भोजन, वायु, जल आदि की पूर्ति होती है, उस स्थान को वासस्थान कहते है।
प्रश्न 3. स्थलीय वासस्थान किसे कहते है?
उत्तर– जमीन पर पाए जानेवाले सजीवो के वासस्थान को स्थलीय वासस्थान कहते है।
प्रश्न 4. जलीय वासस्थान किसे कहते है?
उत्तर– जल में पाए जानेवाले सजीवों के वासस्थान को जलीय वासस्थान कहते है।
प्रश्न 5. पर्यानुकूलन किसे कहते है?
उत्तर– जब कोई व्यक्ति या जंतु अपने अनुकूलित स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाते है, तो कुछ समय तक उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, ऐसे अस्थायी अनुकूलन (स्थान) को पर्यानुकूलन कहते है।
मरुस्थल
(i) मरुस्थल में दिन में तेज गर्मी पड़ती है और रात में अधिक ठंडा पड़ती है।
(ii) गर्मी से बचने के लिए छोटे जीव बिल में रहते हैं, और भोजन के लिए रात में बिल से बाहर निकलते है।
(iii) मरुस्थल में नागफनी, बबूल, ग्वारपाठा (घृतकुमारी) आदि पौधे पाए जाते है।
पर्वतीय क्षेत्र
(i) पहाड़ो पर बहुत ठंडा होता है।
(ii) यहां याक, तेंदुआ, पहाड़ी बकरी पाई जाती है। इनके शरीर पर लंबे बालों को परत होती है।
(iii) पहाड़ी बकरी और ऊंट के मजबूत खूर (मजबूत पैर) उसे ढालदार चट्टानों पर दौडने के लिए अनुकूलित करता है।
(iv) शंक्वाकार पेड़, पर्वतीय इलाकों में पाया जाता है। जैसे– पाईन, विलो, देवदार आदि।
समुद्र
(i) समुद्री जंतुओं का शरीर धारारेखीय होता है, जो जल में तैरने में मदद करता है।
(ii) स्क्डि और ऑक्टोपस समुद्री जंतुओं के शरीर धारारेखीय नहीं होता है।
(ii) समुद्री जंतुओं में श्वास लेने के लिए गलफड़े (क्लोम) होते हैं।
(iv) डॉल्फिन और व्हेल में गिल्स नहीं होती है। यह सिर पर स्थित नासा द्वारा या वात छिद्रों द्वारा सांस लेते हैं।
👉 स्थलीय पौधे में जड़ मिट्टी से जल एवं खनिज लवण का अवशोषण करती है। परंतु जलीय पौधे की जड़ छोटी होती है, और यह केवल तलहटी में पौधे को जमाए रखने का कार्य करती है।
>> जलीय पौधों का तना लंबा, खोखला तथा हल्का होता है। जलीय पौधों का तना जल की सतह तक ही रहता है, जबकि पत्ती और फूल जल की सतह पर तैरती रहता है। जैसे– कमल और जलकुंभी
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 6वीं के विज्ञान के पाठ 11 सजीवों में अनुकूलन (Sajivo Me Anukulan) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !